क्या गलती थी उसकी ?
जो निर्भया कहलायी ।
कितना दर्द सहा होगा आसिफा ने?
जो दुनिया में और न जी पायी।
क्या गलती थी उसकी ?
क्यों, रह गया आँगन सुना,
और किलकारियाँ न गूँज पायी।
मासूम की गुहार,
माँ का दर्द,
क्यों न दुनिया सुन पायी?
आखिर, गलती क्या थी?
जवाब-
हाँ, हाँ गलती तो थी।
वो मेरी बेटी थी।
और मैं,
मैं किसी और की।
आशय- यद्यपि हमारा समाज सुशिक्षित हैं फिर भी कहीं न कहीं आज भी लड़की का जन्म लेना पाप समझा जाता हैं। हर कदम पर उसको कोसा जाता हैं। यह कविता अपनी बेटी की चिंता में तड़प रहीं माँ का समाज के उन लोगों पर व्यंग्य हैं जो आज भी अपनी नीच सोच का परिचायक हैं।
महक गुप्ता