फिर भी क्यूं सिर्फ नारी है।

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Dr.Kk Sharma
Apr 28, 2019   •  6 views

कितनी प्यारी है,सबसे न्यारी है
मेरी "माँ" इक "नारी" है।
मुझे खिलाती है, लोरी सुनाती है
खुद भूख से करवट बदलती है,
फिर भी सिर्फ "नारी" है।।

मुझे चिढ़ाती है,बड़ा सताती है मेरी "बहन"इक "नारी" है।
मुझे मनाती है,हर बात समझाती है
मेरी हर गलती को अपना बताती है,
फिर भी सिर्फ "नारी" है।।

बच्चों को प्यारी है, माँ-पापा की दुलारी है
मेरी "पत्नी" इक "नारी" है।
मुझे संभाले, बच्चों को पाले है
सारे घर का भार उठाती है,
फिर भी सिर्फ़ "नारी" है।।

कई किस्सों की पिटारी है,नन्ही परी हमारी है
मेरी "बिटिया रानी" इक "नारी" है।
मुझे डांटती है,माँ का हाथ बटाती है
दूजे घर जाने की तैयारी है,
फिर भी सिर्फ "नारी" है।।

कितने चेहरे हैं,कितने नाते हैं
"नारी" पर कसते ताने हैं।
पिता का नाम, माँ का काम
करती है वो हर बार,
फिर भी क्यूं सिर्फ "नारी" है।।

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