रात का अंधेरा मंज़िल हैदूर
चल सकते हो तो चलो मेरे संग
कुहासा और ठंड सी है तन्हाई
ज़माना मुझसे बहुत आगे है
मेरे पास भी रंग है ख्वाब है
मुझे इन पर यकीन है
तुम्हे यकीन हो तो चलो मेरे संग
डॉ. अविराग