तेरे साथ फूल चुनने जाना एक महज इत्तेफाक ही तो था। हालांकि ना तेरे पास,ना मेरे पास कैमरा था। पर फिर भी मेरे पास इस लम्हें की बेहद संजीदा तस्वीरे हैं।
दिखाऊँ?
तेरे साथ घूमते हुए फूल से लदे पेडो को ढूँढना, उस बीच मनचीत की बातों का एक कोटा पूरा करना क्योंकि शाम में और भी ढेर सारी बातें करनी हैं।
एक बेहद संजीदा तस्वीर हैं, उन बातों की जो कभी ना खत्म होने वाली हैं।
मेरा, तेरे लिए पेड की डाली को झुकाना फिर तेरा एक-एक करते हुए फूल तोडना। तेरा, मेरे लिए एक-एक फूल को टूटी टहनी से झाडना और मेरा इधर-उधर भागते हुए फूल केंच करना।
एक बेहद कीमती तस्वीर हैं, हर फूल को केंच करने के बाद एक-दूसरे को देखते हुए हँसना।
मेरा, तेरे लिए फूल तोडने को पत्थर के ढेर पर चढना और फिसल जाना। पर तेरा, मेरा हाथ पकड़कर गिरने से बचाना।
एक और बेहद कीमती तस्वीर हैं, एक-दूसरे की परवाह करना और फिर क्या तेरा डांटना और मेरा मंद-मंद मुस्काना।
इस 15 मिनट के पलों में मैने ढेर सारी बोलती हुई तस्वीरे खींची, जो रात में मेरे से बातें करती हैं और मेरे चेहरे पर प्यार भरी मुस्कराहट के साथ सूकूनभरी नींद दे जाती हैं।