ये दोस्त हैं जो मेरे, हर बात पे मजा लेते हैं
जब भी रोता हूं, मुझे हँसा लेते है
और दुःख मुझ तक पहुचने की लाख कोशिश करता है
साले, हर बार अपने जाल में फंसा लेते है।
मेरे हर खुशी में वो साथ देते है
मेरे हर दुःख को वो बाँट लेते हैं
जब भी गिर जाता हूं मुश्किलों की गहराइयों में
ऊपर उठाने के लिए अपना हाथ देते हैं।
जब भी खुद को अकेला पाता हूं
उनके साथ जाके बस बैठ जाता हूं
भूख न भी लगी हो तो खुदा कसम
1-2 रोटियाँ ज्यादा ही खाता हूं
शुभम पाठक