किसी भी क्षेत्र में चाहे वो कला हो या विज्ञान या व्यापार
अक्सर देखा जाता है शिखर पर जाने वाला व्यक्ति हल्केपन का शिकार हो जाता है
हल्केपन से मेरा मतलब है अपने काम में इतना focused हो जाता है
जिससे वोधीरे धीरे अपनी surroundings दोस्तो और परिवार से दूर होता जाता है हल्के होने के लिए
वो हल्कापन कब तन्हाई बन जाता है पता नहीं चलता
उसकी चमक कब अंधेरे में तब्दील हो जाती है पता नहीं चलता
उचाईयों पर जाने के बाद सबको वो इंसान दिखता है
नहीं दिखता उसका त्याग समर्पण
जो धीरे धीरे तन्हाई अकेलेपन में तब्दील हो जाता है
उससे हरदम उतनी उम्मीद रखी जाती है
बस यही उम्मीद वो इंसान खो बैठता है
रिश्तों को अहमियत दे खुद के साथ वक़्त बिताए परिवार को वक़्त ज़रूर दे
खुशियां बहुत छोटी छोटी चीज दे जाती है उन्हें तलाशे
खुशियों के पैमाने छोटे बनाए लक्ष्य बड़ा होना चाहिए।
डॉ. अविराग