फिर निकला है
आज दिल
ढूढने
सूकूं,
कैसे मिलता
मनचला है
हर पल जला है
तन्हा पला है
यही सिलसिला है
आज फिर निकला है
दिल
सूकूँ,
ठोकर
दर्द
कम कहा होते
चैन-ओ-सूकूं हमसफ़र कहा होते
दिल आज फिर निकला है
ढूढने……
डॉ.अविराग