सहजज्ञान संबन्धी.
सहज ज्ञान से उत्पन्न
अंतर्ज्ञानी
Nonrational
Visceral
Religion in fact is not knowledge, but a faith and aspiration ; it is justified indeed both by an imprecise intuitive knowledge of large spiritual truths and by the subjective experience of souls that have risen beyond the ordinary life, but in itself it only gives us the hope and faith by which we may be 460 The Yoga of Integral Knowledge induced to aspire to the intimate possession of the hidden tracts and larger realities of the Spirit.
धर्म वास्तव में कोई ज्ञान नहीं बल्कि एक श्रद्धा एवं अभीप्सा है ; निःसंदेह, यह विशाल आध्यात्मिक सत्यों के अनिश्चित सहजज्ञान के द्वारा तथा साधारण जीवन से ऊपर उठी आत्माओं के आन्तरिक अनभवों के द्वारा सत्य प्रमाणित होता है, पर अपने - आपमें यह हमें केवल एक ऐसी आशा एवं श्रद्धा ही प्रदान करता है जिसके द्वारा हम आत्मा के गुप्त प्रदेशों तथा विशालतर सत्यों की गहरी प्राप्ति के लिये अभीप्सा करने को प्रेरित हो सकें ।
Therefore without a long inner experience, without intimate self - observation and intuitive perception of the Nature - forces it is difficult to grasp accurately or firmly utilise.
अतएव, सुदीर्घ आन्तर अनुभव तथा अन्तरंग आत्म - निरीक्षण के बिना और प्रकृति - शक्तियों का साक्षात् ज्ञान प्राप्त किये बिना इसे ठीक - ठीक समझना या दृढ़ता से उपयोग में लाना कठिन है ।
Iqbal agrees with Tagore that the object of all art is the intuitive apprehension of reality.
इकबाल टैगोर से दस बिंदू पर सहमत होते हैं, कि सभी कलाओं का उद्देश्य यर्थाथ का अंतदर्शी बोध है ।
And last it would execute a similar movement of taking up into and fusion with the revelatory power of the intuitive gnosis.
अन्त में वह इस प्रकार की एक और क्रिया करेगा जिसके द्वारा वह इन दोनों शक्तियों को बोधिमय विज्ञान की सत्य - प्रकाशक शक्ति में उन्नीत करके उसके साथ एक कर देगा ।
The suggestive intuition is not the same thing as the intellectual insight of a quick intelligence or the intuitive discrimination as the rapid judgment of the reasoning intellect ; the intuitive inspiration is not the same as the inspired action of the imaginative intelligence, nor 814 The Yoga of Self - Perfection the intuitive revelation as the strong light of a purely mental close seizing and experience.
संकेतकारी अन्तर्ज्ञान आशु बुद्घि की बौद्घिक अन्तर्दृष्टि से अभिन्न 832 योग - समन्वय नहीं है, न ही अन्तर्ज्ञानात्मक विवेक और तर्कबुद्धि का द्रुत निर्णय एक ही चीज है ; अन्तर्ज्ञानात्मक अनुप्रेरणा कल्पनाशील बुद्धि की अन्तःप्रेरित क्रिया से अभिन्न नहीं है और न शुद्ध - मानसिक सूक्ष्म बोध एवं अनुभव की प्रखर ज्योति तथा अन्तर्ज्ञानात्मक साक्षात्कार एक ही चीज हैं ।
In the actual process of the development of the supramental nature, supposing it to follow a regular gradation, it may be seen 816 The Yoga of Self - Perfection that the two lower powers come out first, though not necessarily void of all action of the two higher powers, and as they increase and become a normal action, they make a sort of lower intuitive gnosis.
यदि यह मन लिया जाये कि अतिमानसिक प्रकृति के विकास की वास्तविक प्रक्रिया एक नियमित क्रमपरम्परा का अनुसरण करती है तो यह देखा जा सकता है कि उस प्रक्रिया में दो निम्नतर शक्तियां पहले प्रकट होती हैं, यद्यपि वे दो उच्चतर शक्तियों की समस्त क्रिया से अनिवार्यरूपेण शून्य ही नहीं होतीं, और जैसे ही वे वृद्धिगत होकर एक सामान्य क्रिया का रूप धारण कर लेती हैं, वे एक प्रकार के निम्न बोधिमय विज्ञान अन्तर्ज्ञान का गठन करती हैं ।
And this is, probably not that intuitive to you, because its
और यह आप के लिए, कि सहज ज्ञान युक्त है, शायद नहीं क्योंकि इसकी
A regular development would at first, allowing for some simultaneous manifestation of the four powers, yet create on a sufficiently extensive scale the lower suggestive and critical intuitive mind and then develop above it the inspired and the revelatory intuitive mentality.
चेतना का नियमित विकास, चारों शक्तियों को कुछ मात्रा में एक साथ अभिव्यक्त करता हुआ भी, पहले पर्याप्त व्यापक प्रमाण में एक संकेतदायी एवं आलोचक अन्तर्ज्ञानात्मक मन के निम्न स्तर का ही निर्माण करेगा और फिर उसके ऊपर अन्तःप्रेरित तथा प्रत्यक्षदर्शक अन्तर्ज्ञानात्मक मन का विकास करेगा ।
This can indeed only be done if we make the intuitive mind a transitional means for bringing out the secret supermind itself of which it is a mental figure and forming in our frontal consciousness a body and instrument of supermind which will make it possible for the self and spirit to display itself in its own largeness and splendour.
निःसन्देह, यह कार्य केवल तभी सम्पन्न हो सकता है यदि हम अन्तर्ज्ञानात्मक मन को उच्चतर अवस्था में पहुंचने के लिये एक साधन बनाकर उसके द्वारा स्वयं निगूढ़ अतिमानस को भी, जिसका वह एक मनोमय रूप है, अभिव्यक्त कर दें तथा अपनी सामने की चेतना में अतिमानस का एक बाह्म रूप एवं करण भी गठित कर लें ।
The nearest the human mind usually gets to this truth - conscious knowledge is that imperfect action of illumined finding which occurs when there is a great stress of thought and the intellect electrified by constant discharges from behind the veil and yielding to a higher enthusiasm admits a considerable instreaming from the intuitive and inspired faculty of knowledge.
साधारणतया मानव मन इस सत्य - सचेतन ज्ञान के अधिक - से - अधिक निकट जिस ज्ञान - क्रियातक पहुंचता है वह प्रकाशयुक्त खोज की वह अपूर्ण क्रिया ही होती है जो तब घटित होती है जब विचार का अत्यधिक दबाव पड़ता है, और जब बुद्धि पर्दे के पीछे से निकलनेवाले अविच्छिन्न विद्युत् - कणों से आविष्ट हो जाती है तथा उच्चतर उत्साह के वशीभूत होकर ज्ञान की बोधिमूलक एवं अन्तःप्रेरित शक्ति से एक प्रचुर अन्तःप्रवाह को प्रवेश करने देती है ।