Meaning of Divine in Hindi - हिंदी में मतलब

profile
Ayush Rastogi
Mar 08, 2020   •  2 views
  • सुन्दर

  • भविष्यवाणी करना

  • पवित्र

  • बहुत सुंदर

  • जान लेना

  • श्रेष्ठ

  • अनुमान लगाना

  • ईश्वरीय/स्वर्गीय

  • दैवी

Synonyms of "Divine"

  • Godhead

  • Lord

  • Creator

  • Maker

  • Almighty

  • Jehovah

  • Cleric

  • Churchman

  • Ecclesiastic

  • Godly

  • Providential

  • Godlike

  • Elysian

  • Inspired

"Divine" शब्द का वाक्य में प्रयोग

  • So we see that an attempt to enumerate the traits and characteristics of Devendranath ' s career as a literateur is bound in the very process of things to be an enumeration of the many landmarks in the path of his progress through life as a seeker of divine Light and Truth.
    अस्तु हम देखेंगे कि साहितयकार के रूप में देवेन्द्रनाथ के गुणों और वैशिष्ट्यों का आकलन स्वभावतः: ही दिव्य ज्योति और सत्य के अनुसंधाता के रूप में उनके जीवनगत प्रवास को समझने की प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है ।

  • If consciousness is the essence of all objects and there is only one divine consciousness, who is it that perceives limited objects!
    यदि चेतना ही समस्त वसुतओ का बीज है और सत केवल एक ही दिव्य चेतना है तो सीमित वस्तुओ का द्रष्टा कौन है ?

  • He who seeks the divine must consecrate himself to God and to God only.
    जो व्यक्ति भगवान् को पाना चाहता है उसे भगवान् के प्रति और केवल भगवान् के ही प्रति अपने - आपको उत्सर्ग करना होगा ।

  • The hope not only of an escape, but of a completely satisfying and victorious solution comes when we perceive what some religions and philosophies affirm, but others seem to deny, that there is also in the dual unity of soul and nature a lower, an ordinary human status and a higher, a divine ; for it is in the divine alone that the conditions of the duality stand reversed ; there the soul becomes that which now it only struggles and aspires to be, master of its nature, free and by union with the divine possessor also of the world - nature.
    परन्तु केवल मुक्ति की ही नहीं, बल्कि एक पूर्णतः सन्तोषजनक तथा सफलतापूर्ण समाधान की भी आशा तब उत्पन्न होती है जब हमें उस सत्य का अनुभव होता है जिसे कुछ धर्म और दर्शन दृढ़तापूर्वक स्थापित करते हैं, पर कुछ अन्य अस्वीकार करते प्रतीत होते हैं कि पुरुष और प्रकृति के द्वैतात्मक अद्वैत में भी एक तो निम्नतर एवं साधारण मानवीय भूमिका है और दूसरी उच्चतर एवं दिव्य जिसमें द्वैत की अवस्थाएं पलट जाती हैं और पुरुष जो कुछ बनने के लिये आज केवल संघर्ष तथा अभीप्सा कर रहा है वही बन जाता है, अर्थात् वह अपनी प्रकृति का स्वामी तथा स्वाराट् हो जाता है और भगवान् के साथ एकत्व लाभ करके विश्व - प्रकृति का भी स्वामी बन जाता है ।

  • The verse meaning that I praise those pious poets who are remote from Somasara Bhava, who destroyed the bonds of Bhava by worshipping the lotus - feet of Lord Siva and not seeing the non - Saivites, and those who obtained the divine grace, having served Lord Siva, is a clear evidence of his youthful zeal for Virasaiva religion.
    उन्होंने अपने एक छंद में लिखा था, मैं उन पुण्य श्लोक कवियों की प्रशंसा करता हूं, जो सोमसार भव से दूर रहकर शिवेतर व्यक्तियों से अपनी आँखें बचाकर शिव के चरण कमल की अर्चना से संसार भव के बंधन से मुक्त हो गए हैं और शिव की आराधना के द्वारा उनकी दिव्य कृपा के पात्र हो गए हैं ।

  • Mind, heart, life, body are to do the works of the divine, all the works which they do now and yet more, but to do them divinely, as now they do not do them.
    मन, हृदय, प्राण और शरीर को भगवान् के कार्यों को करना है, जिन कार्यों को वे इस समय करते हैं उन सभी को और उनसे भी अधिक कार्यों को, पर करना है दिव्य ढंग से जैसा कि इस समय वे नहीं करते ।

  • Now every movement is seen to be the form given by the Shakti, the divine power in us, to the indications of the Purusha, still no doubt personalised, still belittled in the inferior mental form, but not primarily egoistic, an imperfect form, not a positive deformation.
    किन्तु अब ऐसा दिखायी देता है कि हमारी प्रत्येक क्रिया पुरुष के संकेतों को, हमारी अन्तःस्थ दिव्य शक्ति के द्वारा दिया गया एक रूप है ; निःसन्देह यह रूप अभी भी व्यक्तिभावापन्न होता है, अभी भी निम्नतर मानसिक आकार की क्षुद्रता को लिये होता है, पर मूलतः अहंकारपूर्ण नहीं होता, यह रूप अपूर्ण अवश्य होता है पर स्पष्टतः विकृत नहीं ।

  • It is an equality of the divine Tapas which will initiate a luminous action of the divine will in all the nature.
    यह दिव्य तपस् की समता है जो समस्त प्रकृति में दिव्य संकल्प की ज्योतिर्मय क्रिया का आरंभ करेगी ।

  • At first, while there is still insistence on our own personality, it only reflects that, but becomes more and more indistinguishable from it, less personal and eventually it loses all shade of separateness, because the will in us has grown identical with the divine Tapas, the action of the divine Shakti.
    आरम्भ में, जब हम में अपने व्यक्तित्व पर आग्रह करने की भावना अभीतक विद्यमान होती है तो हमारी इच्छा उसकी इच्छा को केवल प्रतिबिम्बित करती है पर इन दोनों में भेद करना उत्तरोत्तर अशक्य होता जाता है और हमारी इच्छा - शक्ति कम वैयक्तिक बनती जाती है और अन्त में इसकी पृथक्ता की समस्त छाया लुप्त हो जाती है, क्योंकि तब हमारे अन्दर की इच्छाशक्ति दिव्य तपस् के साथ, अर्थात् दिव्य शक्ति की क्रिया के साथ एकमय हो चुकती है ।

  • The divine that we adore is not only a remote extra - cosmic Reality, but a half - veiled Manifestation present and near to us here in the universe.
    जिस भगवान् की हम उपासना करते हैं वह केवल दूरस्थ विश्वातिरिक्त सद्वस्तु नहीं, बल्कि एक अर्द्ध - आवृत अभिव्यक्ति है जो यहीं विश्व में हमारे पास और सामने विद्यमान है ।

0



  0