विकर्षण
ध्यान का खिंचाव/दूसरी ओर लगाव
मनबहलाव
व्याकुकता
Beguilement
Misdirection
Know that the worldly life is only play, and distraction, and glitter, and boasting among you, and rivalry in wealth and children. It is like a rainfall that produces plants, and delights the disbelievers. But then it withers, and you see it yellowing, and then it becomes debris. While in the Hereafter there is severe agony, and forgiveness from God, and acceptance. The life of this world is nothing but enjoyment of vanity.
जान रखो कि दुनियावी ज़िन्दगी महज़ खेल और तमाशा और ज़ाहिरी ज़ीनत और आपस में एक दूसरे पर फ़ख्र क़रना और माल और औलाद की एक दूसरे से ज्यादा ख्वाहिश है बारिश की सी मिसाल है जिस से किसानों की खेती उनको ख़ुश कर देती थी फिर सूख जाती है तो तू उसको देखता है कि ज़र्द हो जाती है फिर चूर चूर हो जाती है और आख़िरत में सख्त अज़ाब है और ख़ुदा की तरफ से बख़्शिस और ख़ुशनूदी और दुनयावी ज़िन्दगी तो बस फ़रेब का साज़ो सामान है
As to those who believe not in the Hereafter, We have made their deeds pleasing in their eyes ; and so they wander about in distraction.
रहे वे लोग जो आख़िरत को नहीं मानते, उनके लिए हमने उनकी करतूतों को शोभायमान बना दिया है । अतः वे भटकते फिरते है
It may be noted that in verse 35 of the Forty Verses and in verses 15 and 16 of the Supplement, the Maharshi deprecates interest in occult powers as an impediment in the path and a distraction.
यह बात ध्यान देने योग्य है कि ' चालीसा ' के पद 35 में और ' परिशिष्ट ' के पद 15 और 16 में महर्षि सिद्धियों की निंदा करते हैं और उन्हें मार्ग में बाधक और ध्यान को भटकानेवाले बताते हैं ।
But since we accept world - existence, and for us all world - existence is Brahman and full of the presence of God, these things can have no terrors for us ; whatever dangers of distraction there may be, we have to face and overcome them.
परन्तु, क्योंकि हम जगत् - सत्ता को स्वीकार करते हैं और क्योंकि हमारे लिये समस्त जगत् - सत्ता ब्रह्म ही है तथा ईश्वर की उपस्थिति से परिपूर्ण है, ये चीजें हमें भयभीत नहीं कर सकतीं ; पथ - भ्रष्ट करनेवाले कोई भी संकट क्यों न आयें, हमें उनका सामना करके उनपर विजय पानी होगी ।
If Allah were to hasten for men the ill as they would fain hasten on the good, - then would their respite be settled at once. But We leave those who rest not their hope on their meeting with Us, in their trespasses, wandering in distraction to and fro.
और जिस तरह लोग अपनी भलाई के लिए जल्दी कर बैठे हैं उसी तरह अगर ख़ुदा उनकी शरारतों की सज़ा में बुराई में जल्दी कर बैठता है तो उनकी मौत उनके पास कब की आ चुकी होती मगर हम तो उन लोगों को जिन्हें हमारी हुज़ूरी का खटका नहीं छोड़ देते हैं कि वह अपनी सरकशी में आप सरग़िरदा रहें
Too frequent travel and repeated appearance on public platform, adulation of the unthinking multitude and a ceaseless crusade for lofty ideals - LRB - which also became a campaign for raising funds for Visva - Bharati - RRB - were a distraction hardly conducive to a mood of creative thought or of contemplative insight.
इतनी अधिक यात्राएं और बार बार मंच पर आना, चापलूसों का घेराव और उच्च आदर्श की रक्षा के लिए अंतहीन यात्राएं ये सब विकर्षण के लिए शायद ही सहायक हों - किसी सर्जनात्मक, वैचारिक, मनोदशा या फिर ध्यानशील अंतर्दृष्टि में.
We shall turn to their hearts and their eyes, even as they refused to believe in this in the first instance: We shall leave them in their trespasses, to wander in distraction.
और हम उनके दिलों और निगाहों को फेर देंगे, जिस प्रकार वे पहली बार ईमान नहीं लाए थे । और हम उन्हें छोड़ देंगे कि वे अपनी सरकशी में भटकते रहें
As to those who believe not in the Hereafter, We have made their deeds pleasing in their eyes ; and so they wander about in distraction.
इसमें शक नहीं कि जो लोग आखिरत पर ईमान नहीं रखते हमने ख़ुद अच्छा कर दिखाया है
said:" Therefore it is forbidden to them for forty years ; in distraction they will wander through the land. So be not sorrowful over the people who are the Fasiqun."
हमारा उनका साथ नहीं हो सकता तो उनकी सज़ा यह है कि उनको चालीस बरस तक की हुकूमत नसीब न होगा यह लोग जंगल में सरगरदॉ रहेंगे तो फिर तुम इन बदचलन बन्दों पर अफ़सोस न करना
The supreme conscious Being in his divine knowledge and will and love governs their evolution to our ignorance so often a cruel confusion and distraction from these depths and is not troubled by the clamour of the surface.
परम चिन्मय पुरुष अपने दिव्य ज्ञान, संकलप और प्रेम के द्वारा इन गहराइयों से ही उनके विकास का संचालन करता है - हमारे अज्ञान को वह विकास कितनी ही बार एक क्रूर अव्यवस्था और पथ - भ्रष्टता रूप प्रतीत होता है - किन्तु परम पुरूष उपरितल के कोलाहल से विक्षुब्ध नहीं होता ।