घोषित करना
दोष लगाना
निंदा करना
दोषी ठहराना
भाग्य में लिखा होना
“ It is better to risk saving a guilty man than to condemn an innocent one. ” - Voltaire, French Writer and Philosopher
“ किसी निर्दोष को दंडित करने से बेहतर है एक दोषी व्यक्ति को बख़्श देने का जोख़िम उठाना । ” - वाल्तेयर
To revolt, to condemn, to cry out is the impulse of our unchastened and ignorant instincts.
विद्रोह, निन्दा या चीख - पुकार हमारी अपरिष्कृत एवं अज्ञानयुक्त अन्ध - प्रवृत्तियों का आवेग होती है ।
With time, individual Muslims are finding their voice to condemn Islamist connections to terrorism. Perhaps most outstanding is an article by Abdel Rahman al - Rashed, a Saudi journalist in London: “ It is a certain fact that not all Muslims are terrorists, ” he writes, “ but it is equally certain, and exceptionally painful, that almost all terrorists are Muslims. … We cannot clear our names unless we own up to the shameful fact that terrorism has become an Islamic enterprise ; an almost exclusive monopoly, implemented by Muslim men and women. ”
कुछ और विश्लेषकों ने भी अल रशीद के उदाहरण का अनुकरण किया है. मिस्र से ओसाम अल - गजाली हर्ब लिखते हैं. “ मुसलमानों और अरब के बुद्धिजीवियों तथा मतनिर्धारक नेताओं को ऐसे किसी भी विचार का प्रतिवाद और प्रतिरोध करना चाहिए जो मुसलमानों के कष्ट की आड़ में आतंकवाज जैसे बर्बर कृत्य का समर्थन करता है. ”
Lord, those whom You condemn to enter the Fire You have surely brought to disgrace. Wrongdoers will have no supporters.
" हमारे रब, तूने जिसे आग में डाला, उसे रुसवा कर दिया । और ऐसे ज़ालिमों का कोई सहायक न होगा
To condemn them as communal movements was to blind oneself deliberately to the facts, and for the minority groups in either state to lend colour to this condemnation was to injure their own cause.
इन आंदोलनों को सांप्रदायिक बताकर इनकी बदनामी करना, जानबूझ कर खुद को अंधा बनाना है और असलियत की अनदेखी करना है ।
Shah will hint that fasts and prayers have their use, though the objective is something else, namely God - vision, Sachal will downright condemn the orthodox priests given to fasting and prayers and declare them as frauds and counterfeits.
शाह कहते हैं कि रोज़ा और नमाज़ भी अच्छे काम हैं पर उद्देश्य कुछ और है, वह है भगवान् के दर्शन करना ।
He was greatly roused by Abdullah ' s campaign and was quick to condemn the Maharaja for what he termed the barbarous and inhuman way in which the movement was put down.
अब्दुल्ला के आन्दोलन से वे बडे उत्साह में आ गये थे और जिसे वे अन्दोलन को दबाने का बर्बर और आमनुषिक मार्ग कहते थे उसके लिए उन्होंने महाराजा की निन्दा करने में जरा देर नहीं की ।
In America, this intimidation results in large part from a revisionist interpretation of the evacuation, relocation, and internment of ethnic Japanese during World War II. Although more than 60 years past, these events matter yet deeply today, permitting the victimization lobby, in compensation for the supposed horrors of internment, to condemn in advance any use of ethnicity, nationality, race, or religion in formulating domestic security policy.
यह लॉबी इस बात को नकारते हुए कि जापानी मूल के लोगों के साथ जो व्यवहार हुआ वह आवश्यक राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण हुआ यह स्थापित करती है कि यह युद्धकालीन हिस्टीरिया और नस्लआधारित भेदभाव का परिणाम था.
Specifics are no better. Most fundamentally, Brennan calls for appeasing terrorists: “ Even as we condemn and oppose the illegitimate tactics used by terrorists, we need to acknowledge and address the legitimate needs and grievances of ordinary people those terrorists claim to represent. ” Which legitimate needs and grievances, one wonders, does he think Al - Qaeda represents ? Brennan carefully delineates a two - fold threat, one being “ Al - Qaida and its allies” and the other “ violent extremism. ” But the former, self - evidently, is a subset of the latter. This elementary mistake undermines his entire analysis.
सेंटर फार स्ट्रेटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज इन वाशिंगटन में उनका उद्बोधन अस्वाभाविक तेवर लिये हुए था । इस भाषण के लिये “ चापलूसी” शब्द मस्तिष्क में तैरता है जबकि ब्रेनन ने पाँच हजार शब्दों में नब्बे बार “ राष्ट्रपति ओबामा”, “ वे”, “ वह” या फिर “ राष्ट्रपति” शब्दों को बीच में लाये । परेशान करने वाली बात यह थी कि ब्रेनन ने अपने भाषण में सभी नीतियों या विचार को एक ही व्यक्ति को समर्पित किया । इस प्रकार गिडगिडाना और व्याख्यान हमें उत्तरी कोरिया के एक अधिकारी की याद दिलाता है जो कि अपने प्रिय नेता को श्रद्धाँजलि अर्पित कर रहा था ।
People of the Book, have faith in the Quran that We have revealed to confirm your Book, before certain faces are changed and turned back. We shall condemn them as We did the people of the Sabbath about whom God ' s decree had decisively been ordained.
पस उनमें से चन्द लोगों के सिवा और लोग ईमान ही न लाएंगे ऐ अहले किताब जो हमने नाज़िल की है और उस की भी तस्दीक़ करती है जो तुम्हारे पास है उस पर ईमान लाओ मगर क़ब्ल इसके कि हम कुछ लोगों के चेहरे बिगाड़कर उनके पुश्त की तरफ़ फेर दें या जिस तरह हमने असहाबे सबत पर फिटकार बरसायी वैसी ही फिटकार उनपर भी करें