नशा
In this view, the virtually limitless gradations of human acumen depend on nothing so much as the degree of integral conceitedness of their ideas.
इस मत के अनुसार, मानव की कुशाग्र बुद्धि के लगभग असीमित वर्ग उसके विचारों की संबद्धता की कोटि पर जितना निर्भर हैं उतना किसी और पर नहीं ।