मंगल
हर्ष
परमानंद
आनंद
मोक्ष
कल्याण
आनन्द/हर्ष
विलास
स्वर्ग सुख
परम सुख
धन्यता
धन्य
चिन्मय
Blissfulness
The Taittriya Upanishad takes the son further on in the search for the unity of reality and identifies Brahma with ananda or the state of bliss.
तैत्तरीय उपनिषद् पुत्र को सत्य की एकात्मकता की खोज के लिए और आगे ले जाता है.
in the gardens of bliss.
आराम व आसाइश के बाग़ों में बहुत से
In the image of the ether, not physical but an encompassing ether of vast being, consciousness and bliss, he may seek to see with the mind and to feel in his mental being this supreme existence and to identify it in oneness with the self within him.
भौतिक आकाश के नहीं, बल्कि विशाल सत्, चित्, आनन्द के सर्वतोव्यापी आकाश के इस रूपक में वह इस परमोच्च सत्ता का मन के द्वारा दर्शन करने तथा अपनी मनोमय सत्ता में इसका अनुभव करने और इसके साथ अपनी अन्तःस्थ विश्वात्मा का साक्षात्कार 375 आत्मा की एकता का ज्ञान प्राप्त करने का यत्न कर सकता है ।
If only the People of the Book would believe and be mindful of God, We would surely pardon their sins and We would surely admit them into the Gardens of bliss.
और यदि किताबवाले ईमान लाते और डर रखते तो हम उनकी बुराइयाँ उनसे दूर कर देते और उन्हें नेमत भरी जन्नतों में दाख़िल कर देते
To arrive then at the whole truth of our self and Spirit and the knowledge, greatness, bliss of our free and complete being must be the object of the purification, liberation and perfection of the buddhi.
अतएव, अपनी अन्तरात्मा और आत्मा के सम्पूर्ण सत्य तथा अपनी मुक्त और समग्र सत्ता के ज्ञान, महिमा और आनन्द को प्राप्त करना ही बुद्धि की शुद्धि, मुक्ति और सिद्धि का लक्ष्य होना चाहिये ।
Indeed those who have faith and do righteous deeds, their Lord guides them by the means of their faith. Streams will run for them in gardens of bliss.
रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए, उनका रब उनके ईमान के कारण उनका मार्गदर्शन करेगा । उनके नेमत भरी जन्नतों में नहरें बह रही होगी
The aim of all religions is to take us back to our pristine state of being - awareness - bliss.
सभी धर्मों का उद्देश्य हमें सत् - चित् - आनंद की हमारी मूल स्थिति पर वापस ले आना है ।
I have tasted the bliss which is Lord Siva ' s when he wipes away the unclean stain of creation from the void of eternity and sits entranced in his own invincibility.
“ मैंने उस वरदान की भी जांच की है, जब भगवान शिव ने शाश्वत शून्यता से सृष्टि पर लगे दूषित कलंक को मिटा दिया था और अपनी अपराजेयता में जा विराजे ।
That which we thus grow aware of is the Ananda Brahman, the bliss existence.
इस प्रकार हमें जिस सत्ता का ज्ञान प्राप्त होता है वह आनंद ब्रह्म या आनन्दमय सत्ता है ।
Those who believe and do good deeds will be guided by their Lord because of their faith. Rivers shall flow at their feet in the Gardens of bliss.
बेशक जिन लोगों ने ईमान कुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उन्हें उनका परवरदिगार उनके ईमान के सबब से मंज़िल मक़सूद तक पहुँचा देगा कि आराम व आसाइश के बाग़ों में और उन के नीचे नहरें जारी होगी