वो खनकार लेके उठी हैं,
वो पैरों में पायल और हाथो में कंगन पहनती हैं,
वो चलती हैं तो 10 घर रोशन करती है,
वो आज की नारी हैं, वो अपना अस्तित्व आज भी ढूंढती हैं !!

वो अपने पल्लू को इस तरह संभालती हैं, की कोई देख ना ले, यही सोच कर घबराती हैं,
सिंदूर को अपना गौरव कह के पुकारती हैं,
फिर क्यों अपने ही नज़रो में गिर जाती है,
वो आज की नारी है,
वो अपने अस्तित्व को आज भी ढूंढती है !!

वो निर्भया को देखती है,
वो दामिनी को देखती है,
कुछ देर सोचती है.......
और फिर अपनी ही बेटी पे बेरिया डाल देती है,
वो आज की नारी है,
वो अपना अस्तित्व आज भी ढूंढती है !!!

वो उसे पराया धन कहते है,
वो एक घर से दूसरे घर को जाती है,
वो अपना स्नेह.. प्यार सब कुछ उसपे लौटा देती है,
वो दुसरो के काम को भी अपना समझ के कर डालती है,
बदले में "तेरा काम ही क्या है?? ".....ये जवाब सुनती है,
वो आज की नारी है,
वो अपना अस्तित्व आज भी ढूंढती है !!!

वो laxmi है,
वो महालष्मी है,
वो बेटी है,
वो माँ है,
वो ज्ञान देती है,
वो छमा प्रदान करती हैँ,
वो आज की नारी हैँ,
वो अपना अस्तित्व कही खो चुकी हैँ,
वो रोती हैँ .. अँधेरे में
बाहर निकलने से डरती हैँ
वो खुद से ही लड़ती हैँ,
वो आज भी कही छुपी हैँ
ढूंढ सको तो ढूंढ लो
वरना ये दुनिया खोकली रह जानी हैँ
वो आज की नारी हैँ
वो अपना अस्तित्व आज भी कही ढूंढती हैँ !!!!

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