कश्मीर :- आर्टिकल 370

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Aniket Singh
Aug 06, 2019   •  3 views
कोई भटका हुआ नहीं होता, ये थाली में छेद की आदत है. तुम्हें क़सम है इन परिवारों की, बेकार ना जाए शहादत यह!

जी हाँ, ये सबसे सटीक लाइनें हैं आजके संदर्भ में।

आज कश्मीर में मारे गए हुए हमारे सैंकड़ों भाइयो की सहादत को सच्ची सर्द्धजली है।

धारा 370 क्या क्या हैं और क्यों लागू हुआ था।

आईए जानते है इसके बारे में:::::-

जम्‍मू कश्‍मीर का नाम आते ही राजनीतिक हलकों में अनुच्छेद 370 का भी जिक्र होता है। आर्टिकल 370 को 17 नवंबर 1952 से लागू किया गया था. यह आर्टिकल कश्मीर के लोगों को बहुत सुविधाएँ देता है जो कि भारत के अन्य नागरिकों को नहीं मिलतीं हैं. यह आर्टिकल स्पष्ट रूप से कहता है कि रक्षा, विदेशी मामले और संचार के सभी मामलों में पहल भारत सरकार करेगी. आर्टिकल 370 के कारण जम्मू कश्मीर का अपना संविधान है और इसका प्रशासन इसी के अनुसार चलाया जाता है ना कि भारत के संविधान के अनुसार.

भारत 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों से आजाद तो हो गया, लेकिन इसका बंटवारा भी हो गया। भारत से निकलकर पाकिस्तान एक अलग देश बना। तब प्रिंसली स्टेट्स को भारत या पाकिस्तान में विलय करने या फिर स्वतंत्र रहने का अधिकार प्राप्त था। कुछ प्रिंसली स्टेट्स को छोड़कर बाकी सभी ने खुशी-खुशी भारत में विलय के प्रस्ताव पर दस्तखत कर दिए।

भारत को आजादी मिलने के बाद अगस्त 15, 1947 को जम्मू और कश्मीर भी आजाद हो गया था। भारत की स्वतन्त्रता के समय राजा हरि सिंह यहाँ के शासक थे।

जम्मू-कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह ने स्वतंत्र रहने का निर्णय किया लेकिन 20 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तान समर्थित ‘आजाद कश्मीर सेना’ ने पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर कश्मीर पर आक्रमण कर दिया और काफी हिस्सा हथिया लिया था। आज वही हिस्से को "PoK"कहते हैं। महाराजा ने हालात बिगड़ते देख भारत से मदद मांगी।भारत की मदद पाने के लिए हरि सिंह ने 26 अक्टूबर, 1947 को 'इंस्ट्रूमेंट्स ऑफ ऐक्सेशन ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर टु इंडिया' पर दस्तखत कर दिया। जम्मू-कश्मीर का भारत में विधिवत विलय हो गया। 'इंस्ट्रूमेंट्स ऑफ ऐक्सेशन ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर टु इंडिया' की शर्तों में यह शामिल था कि सिर्फ रक्षा, विदेश और संचार मामलों पर बने भारतीय कानून ही जम्मू-कश्मीर में लागू होंगे। जम्मू-कश्मीर का भारत के साथ कैसा संबंध होगा, इसका मसौदा जम्मू-कश्मीर की सरकार ने ही तैयार किया था। जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा ने 27 मई, 1949 को कुछ बदलाव सहित आर्टिकल 306ए (अब आर्टिकल 370) को स्वीकार कर लिया। फिर 17 अक्टूबर, 1949 को यह आर्टिकल भारतीय संविधान का हिस्सा बन गया।

कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधान 17 नवंबर 1952 से लागू हैं। ये अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर और यहां के नागरिकों को कुछ अधिकार और सुविधाएं देती है, जो देश के अन्य हिस्सों से अलग है। अगर सरकार अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर से हटा देती है, तो यहां के नागरिकों को मिलने वाले वो सभी अधिकार खत्म हो जाएंगे।

इन्हीं विशेष प्रावधानों के कारण भारत सरकार के बनाए हुए कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होते थे। इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा भी था। वहां सरकारी दफ्तरों में भारत के झंडे के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का झंडा भी लगा रहता था। जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को दोहरी नागरिकता भी मिलती थी । जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता था, जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।वह भारत का नागरिक होने के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का भी नागरिक होता थे।जम्मू कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाती थी । इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू - कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी। जम्मू-कश्मीर में भारत के राष्ट्रीय ध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं माना जाता है। लेकिन 370 हटने से देश के अन्य हिस्सों की तरह यहां भी ये गतिविधियां अपराध की श्रेणी में आएंगी। कुल मिलाकर कहें तो आर्टिकल 370 के कारण मामला एक देश में दो प्रधान दो विधान जैसा हो गया था।

आर्टिकल 370 खत्म होते सब बदल गया । अब कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक हैं। अब कश्मीर में रह रहे हर नागरिक भारत का नागरिक हैं।

सरकार ने आज राज्यसभा में कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल पेश कर दिया है। जिसके तहत धारा 370 का खत्म हो जाएगा।

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