मेरी पहली मोहब्बत हो तुम
मेरी पहली इबादत हो तुम
सोचों कितनी खास हो
तुम्हे पाने के लिए कितना रोया हूँ
जाने कितनी रातें न सोया हूँ
सोचों कितनी खास हो
तुझे मैंने खुदा से हर दर पे मांगा है
तेरे लिए न जाने कितनी रात जागा है
सोचों कितनी खास हो
मेरी जमीं हो तुम मेरा आसमान हो तुम
मेरी इज्जत मेरी शोहरत मेरा गुमान हो तुम।
सोचों कितनी खास हो
न जानें क्या चाहती किस ख्वाब में गुम हो
मेरे लिए तो बस तुम हो और तुम हो ।
सोचों कितनी खास हो
तू मेरा पहला और आखिरी प्यार है
मुझे हर पल हर घड़ी तेरा इन्तेजार है
सोचों कितनी खास हो ।
शुभम पाठक