एक खूबसूरत सी कहानी है
बात कुछ वर्षों पुरानी है।
वो दिन जब स्कूल जाना बहुत अच्छा लगता था
सुबह जल्दी उठना और दो चोटी बनाना भी बुरा नहीं लगता था ।
उन दोस्तों के साथ बैठकर हर रोज़ महफ़िल जमाया करते थे
इतने हसीन थे वो दोस्त,टीचर से सजा मिलने पर भी साथ निभाया करते थे।
शरारतें और मस्तियां अपना यही तो अंदाज था
इस खुशहाल जिंदगी का एक यही तो राज़ था।
थोड़े से नासमझ,थोड़े से नादान थे
इस दुनियादारी से हम बहुत ही अनजान थे।
दोस्तों के साथ बैठकर कर हर रोज़ बड़े होने की कामना किया करते थे
क्योंकि उसे ही हम आईयाश ज़िन्दगी की शुरुआत समझ लिया करते थे।
क्या जानते थे की बड़े होने की राह पर चलते चलते इतना आगे आ जाएंगे,
की वो दोस्ती के खुशहाल लम्हे बहुत पीछे छूट जाएंगे।
अच्छे नंबर और अच्छा कैरियर बनाने के जुनून में हम आगे- आगे बढ़ते रहे
और दोस्ती की गहराइयों से हमारे फासले बड़ते गए।
जन्नत थी वो शाम जिन दोस्तों के साथ
एक - एक करके सब बिखरते चले गए।
आज भी वो पुरानी तस्वीरें, उन दोस्तों की याद दिलाया करती है
उन्हें देख कर आंखों में नमी और होंठों पर मुस्कान आ जाया करती है।
अब तो बस एक ही ख्याल है दिल में,
ए मेरे प्यारे दोस्त,
आज चाहे हम साथ नहीं है
हमारी दोस्ती में चाहे वो बात नहीं है
पर आज भी तुम मेरे दिल के उतने ही करीब हो
और दुआ करते है हर जनम में हमें तुम्हारे जैसा यार नसीब हो।