शहर की चकाचौंध में ना जाने जिंदगी कहां खो गई है, आज हर कोई बस आगे बड़ने की रेस में ही भाग रहा है, किसी को भी किसी के लिए समय नहीं है, कोई भी किसी और के काम नहीं आना चाहता है, जिंदगी के इस भागादौड़ी में हर एक व्यक्ति मशीन की तरह हो गया है, जो की बस काम के लिए बना हुआ है।
ये गलत नहीं है,की आप दुनिया के कदम से कदम मिला कर ना चलो, लेकिन इस भीड़ में हमारे रिश्ते भी ना जाने कहां खोते जा रहे, आज लोगो के पास इतना भी समय नहीं है, वे अपने परिवार के साथ बैठ कर खाना भी खाए, जिसकी वजह से हमारे कीमती रिश्ते भी खोते जा रहे है।
हर एक व्यक्ति अपनी ही दुनिया में खोया हुआ है, किसी को भी किसी की कोई परवाह नहीं है,
कहने को तो यह आधुनिक युग है, हम हर तरह से विकास कर रहे है, लेकिन क्या हम अपने रिश्तों का विकास कर पा रहे है?
हम आज पहले कि अपेक्षा अपने रिश्तों को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे है, हमारे पास इतना समय ही नहीं होता है, कि हम अपने रिश्तों को मजबूत बनाए, हम बस दुनिया की रेस में फर्स्ट आना चाहते है, ताकि हमारा भी नाम हो सके हम भी मशहूर हो सके।
लेकिन हम ये नहीं समझे है, की हम हमारे अपनो से दूर होते जा रहे है, हम आज भले ही इन सभी बातों को नज़रंदाज़ कर के आगे निकल जाए लेकिन एक समय बाद हमारे सभी रिश्ते टूट के बिखर जाएंगे और फिर हमारे पास कुछ नहीं बचेगा।
इसलिए यह आवश्यक है, कि हम अपने परिवार को भी समय दे ताकि हमारा परिवार भी मजबूत बने ।