अनुपयुक्तता
अयोग्यता
Worthiness
It was the second Kinkini in his ' SARADA KANCHIKA ' a voluminous criticism of over three hundred pages, where, in the unworthiness of the Telugu translation of Jayadeva ' s Pra - sanna Raghava Nataka by Sri Kokkonda Venkata Ratnam Pantulu, a Telugu Pandit of the Madras Presidency College, and a leading writer of the day, was exposed and the excellence of the original well brought out.
यह शारदा कंचिका की दूसरी किंकिणी थी जिसकी तीन सौ पृष्ठ की विशालकाय समीक्षा में मद्रास प्रेसिडें सी कालिज के तेलुगु पंडित श्री कोक्कोंड वेंकटरत्नम् पंतुलु द्वारा किये गए जयदेवकृत प्रसन्न राघव नाटक के अनुवाद को अयोग्य सिद्ध करते हुए मूल रचना के सौंदर्य पर प्रकाश डाला गया था ।
Our minds are no longer subject to the delusion of trivial unworthiness or the illusion of unreality.
हमारे मन तब क्षुद्र निरर्थकता की भ्रान्ति या मित्यात्व की माया के अधीन नहीं रहते ।