Meaning of Psychic in Hindi - हिंदी में मतलब

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Ayush Rastogi
Mar 07, 2020   •  3 views
  • अतींद्रिय संवेदी

  • अतींद्रिय

  • अतिभौतिक

  • मानसिक

  • आत्मिक या मानसिक

Synonyms of "Psychic"

  • Psychical

"Psychic" शब्द का वाक्य में प्रयोग

  • This method may not always be applicable in our quest of truth, for art and poetry and certain psychic experiences seem to belong to a different order of things and to elude the objective methods of science.
    जब हम सत्य की खोज करते हैं, तब मुमकिन है Zकि यह तरीका हमेशा कारगर न रहे क़्योंकि कला और कविता और इसी तरह के कुछ अन्य मानसिक अनुभव, जो कुछ दूसरी ही कोटि में आते हैं, विज्ञान के वस्तुनिष्ठ तरीके से पकड़ में नहीं आते.

  • The Yogin ' s aim in the practical sciences, whether mental and physical or occult and psychic, should be to enter into the ways of the Divine and his processes, to know the materials and means for the work given to us so that we may use that knowledge for a conscious and faultless expression of the spirit ' s mastery, joy and self - fulfilment.
    व्यावहारिक विद्याओं में, चाहे वे मानसिक और भौतिक हों अथा गुह्य और आन्त्रात्मिक, योगी का लक्ष्य यह होना चाहिये कि वह भगवान् के तरीकों और उसकी गतिविधियों की तह में जाय और जो काम हमें सौंपा गया है उसी साधन - सामग्री का ज्ञान प्राप्त करे जिससे हम यज्ञ का आरोहण 1 145 आत्मा के रहस्य, आनन्द और आत्म - कृतार्थता को सचेतन और निर्दोष रूप से प्रकट करने के लिये उस ज्ञान को काम में ला सकें ।

  • The psychic prana invades the sensational mind and brings into it the unquiet thirst of sensations, invades the dynamic mind with the lust of control, having, domination, success, fulfilment of every impulse, fills the emotional mind with the desire for the satisfaction of liking and disliking, for the wreaking of love and hate, brings the shrinkings and panics of fear and the strainings and disappointments of hope, imposes the tortures of grief and the brief fevers and excitements of joy, makes the intelligence and intelligent will the accomplices of all these things and turns them in their own kind into deformed and lame instruments, the will into a will of craving and the intelligence into a partial, a stumbling and an eager pursuer of limited, impatient, militant prejudgment and opinion.
    सूक्ष्म प्राण सम्वेदनात्मक मन पर आक्रमण करके उसमें सम्वेदनों की अशानत तृषा जगा देता है, क्रियाशील मन पर आक्रमण करके उसमें सम्वेदनों की अशान्त तृषा लगा देती है, क्रियाशील मन को यह प्रभुत्व, स्वत्व, आधिपत्य एवं सफलता के लोभ से तथा प्रत्येक आवेग की परिपूर्ति की कामना से आक्रान्त करता है, भावप्रधान मन को रुचि और अरुचि तथा राग और द्वेष के भावों को तृप्त करने की कामना से परिपूरित कर देता है, भयजनित जुगुप्साओं और आतंकों तथा आशाजनित आयासों और निराशाओं को जन्म देता है, शोक की यन्त्रणाओं तथा हर्ष के क्षणस्थाणयी ज्वरों एवं उसकी उत्तेजनाओं को हमपर लादता है, बुद्धि और उसके संकल्प को इन सब चीजों के शुद्धि 667 सहायता बनाकर उन्हींके ढंग के विकृत एवं पंगु पन्त्रों में परिणत कर देता है, अर्थात् संकल्प को वासना के संकल्प में तथा बुद्धि को सीमित, अधीर और कलहरत पूर्वनिर्णय एवं सम्मति के पक्षपाती, स्खलनशील और उत्सुक अनुयायी में बदल डालता है ।

  • Chapter V The Ascent of the Sacrifice - 1 The Works of Knowledge The psychic Being THIS THEN is in its foundations the integral knowledge of the Supreme and Infinite to whom we offer our sacrifice, and this the nature of the sacrifice itself in its triple character, a sacrifice of works, a sacrifice of love and adoration, a sacrifice of knowledge.
    अध्याय 5 ज्ञान के कर्मचैत्य पुरुष इस प्रकार, यही हमारे यज्ञ के यजनीय परम और अनन्त देव का आधारभूत सर्वांगीण ज्ञान है और यही त्रिविध यज्ञ अर्थात् कर्मों के यज्ञ, प्रेम और पूजा के यज्ञ और ज्ञान के यज्ञ का वास्तविक रूप है ।

  • A community interest is revived and psychic satisfaction is derived by the people.
    इसमें सामूहिक रुचि ली जाने लगती है और लोग इससे मनोवैज्ञानिक संतोष प्राप्त करते हैं ।

  • These experiences of the waking hours had their effect on her dreams as well: Between eleven, and thirteen, a series of psychic and spiritual experiences revealed to me, not only the existence of God, but man ' s possibility of meeting with Him or revealing Him integrally in consciousness and action, of manifesting Him upon earth in a Life Divine.
    जागृतावस्था के इन अनुभवों का प्रभाव उसके स्वप्नों पर भी पड़ता: ग्यारह से तेरह वर्ष की उम्र में मुझे लगातार कई मानसिक तथा आत्मिक अनुभव हुए जिन्होंने मुझे न केवल इसका बोध कराया कि ईश्वर होता है बल्कि यह भी बोध कराया कि उसके साथ मानव का मिलन या चेतना तथा क्रिया में समग्ररूप से उसका बोध, पृथ्वी पर ही ईश्वरीय जीवन में ईश्वर का प्रत्यक्षीकरण संभव है ।

  • It becomes possible to be aware, more or less accurately and discerningly, of the activities of minds whether near to us physically or at a distance, to understand, feel or identify ourselves with their temperament, The Supramental Sense 879 character, thoughts, feelings, reactions, whether by a psychic sense or a direct mental perception or by a very sensible and often intensely concrete reception of them into our mind or on its recording surface.
    हम दूसरों के मनों की, चाहे शरीरिक रूप से वे हमारे पास हों या दूर, क्रियाओं को कम या अधिक यथार्थ रूप में एव विवेकपूर्वक जान सकते हैं तथा उनके स्वभाव एवं चरित्र को, विचारों, वेदनों एवं प्रतिक्रियाओं को चैत्य इन्द्रिय या सीधे मानसिक प्रत्यक्ष के द्वारा अथवा अपने मन के अन्दर या उसके अंकनकारी तल पर उनके अत्यन्त गोचर एवं प्रायः अतिशय मूर्त ग्रहण के द्वारा समझ सकते हैं ।

  • Here too the first necessity is a fullness of the vital capacity in the mind, its power to do its full work, to take possession of all the impulsions and energies given to our inner psychic life for fulfilment in this existence, to hoid them and to be a means for carrying them out with strength, freedom, perfection.
    यहां भी सबसे पहली आवश्यक बात यह है कि मन को प्राणिक सामर्थ्य से परिपूर्ण होना अर्थात् उसमें अपना समग्र कार्य सम्पन्न करने की, हमारे आन्तरिक चैत्य प्राण को जो प्रेरणाएं और शक्तियां इस जीवन में चरितार्थ करने के लिये दी गयी हैं उन सबको अपने अधिकार में लाने की, उन्हें धारण करने की तथा क्षमता, स्वतन्त्रता और पूर्णता के साथ उन्हें कार्यान्वित करने के लिये एक साधन के रूप में काम करने की शक्ति होनी चाहिये ।

  • This method may not always be applicable in our quest of truth, for art and poetry and certain psychic experiences seem to belong to a different order of things and to elude the objective methods of science.
    जब हम सत्य की खोज करते हैं, तब मुमकिन है कि यह तरीका हमेशा कारगर न रहे क्योंकि कला और कविता और इसी तरह के कुछ अन्य मानसिक अनुभव, जो कुछ दूसरी ही कोटि में आते हैं, विज्ञान के वस्तुनिष्ठ तरीके से पकड़ में नहीं आते ।

  • But a still higher state is when they undergo a certain transformation by the conscious will of the spirit which gives its right and no longer its wrong or desire form of characteristic action to the psychic prana.
    किन्तु इससे भी ऊंची अवस्था वह होती है जब ये आत्मा के सचेतन संकल्प के द्वारा एक प्रकार का रूपान्तर प्राप्त कर लेती हें; यह संकल्प सूक्ष्म प्राण को उसकी विशिष्ट क्रिया का अशुद्ध या कामनामय रूप नहीं, बल्कि यथार्थ रूप प्रदान करता है ।

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