अस्थिरता
अनिश्चितता
Uncertainness
Certainty
Moreover, the psychical prana leans on the physical life, limits itself by the nervous force of the physical being, limits thereby the operations of the mind and becomes the link of its dependence on the body and its subjection to fatigue, incapacity, disease, disorder, insanity, the pettiness, the precariousness and even the possible dissolution of the workings of the physical mentality.
अपिच, सूक्ष्म प्राण स्थूल जीवन के ऊपर आधार रखता है, स्थूल शरीर की स्नायविक शक्ति के द्वारा सीमित हो जाता है, उसके द्वारा मन की क्रियाओं को भी सीमित कर देता है और शरीर तथा इस मन के बीच एक ऐसी कड़ी का काम करता है कि यह भी शरीर पर निर्भर रहने लगता है, थकान, अक्षमता, व्याधि, अव्यवस्था, उन्मत्तता, क्षुद्रता और अनिश्चितता के वश में हो जाता है, और यहांतक कि स्थूल मन कि क्रियाओं के सम्भवनीय विलय का कारण बनता है ।