अतृप्य
Unsatiable
' Give me to drink each joy and pain Which Thine eternal hand can mete, For my insatiate soul would drain Earth ' s utmost bitter, utmost sweet.
दो मुझे पीने के लिए हर आनन्द औ दुःख जिन्हें माप सकता है तुम्हारा हाथ अमर, क्योंकि मेरी अतृप्त आत्मा चूस लेगी पृथ्वी पर का सर्वाधिक कटु, सर्वाधिक मधुर ।