अर्थपूर्ण ढंग से
Articulately
Ineloquently
Inarticulately
In the presence of all those hundred odd persons the young enthusiast dilated eloquently on the subject that he had chosen, namely, The advantages of Forming Associations.
इतनी संख्या में आए लोगों के समक्ष ही इस उत्साही युवक ने संस्था गठित करने के लाभ पर प्रभावशाली भाषण दिया ।
My thoughts on the second of these worries are clarified by Samuel P. Huntington ' s remarkable new book, Who Are We: The Challenges to America ' s National Identity, forthcoming in May. In it, the Harvard professor analyzes the impact other civilizations are having on America - via immigration, bilingualism, multiculturalism, the devaluation of citizenship, and the denationalization of American elites. He argues eloquently for the need to reassert core American values in the face of this challenge.
दूसरी चिन्ता के सम्बन्ध में मेरे विचारों को सैमुअल पी. हटिंगटन ने मई में प्रस्तावित अपनी उल्लेखनीय पुस्तक, Who Are We: The Challenges to America ' National Identity में स्पष्ट किया है. इस पुस्तक में हार्वर्ड प्रोफेसर ने आप्रवास, द्विभाषावाद, बहुसंस्कृतिवाद, नागरिकता के मूल्यों में आई गिरावट और अमेरिकी कुलीन वर्ग के अराष्ट्रवादी दृष्टिकोण के कारण अमेरिका पर दूसरी संस्कृतियों के प्रभाव का विश्लेषण किया है. वे इस बात का तीव्र आग्रह करते हैं कि इन चुनौतियों के समक्ष मुख्य अमेरिकी मूल्यो पर अधिक जोर दिया जाना चाहिये.
The following extract from the essays he wrote to counter the argument of light piece by Balwantrai Thakore on ' Chakravakmithun ' eloquently expresses his views on poetry: Is poetry deceitful, casting a magical spell ?
बलवन्तराय ठाकोर के कान्त कवि की कविता चक्रवाकमिथुन के बारे में एक विनोदपूर्ण लेख में दी गई दलील के विरोध में लिखे गए निबंध में से एक उद्धरण से कविता के विषय में नरसिंहराव के विचार स्पष्ट होते हैं - तो क्या कविता धूर्त है और इन्द्रजाल फैलाने वाली है ?
For U. S. - Israel relations to retain their historic strength, however, new generations of activists will need to rise up and replace their elders. Prevailing wisdom in recent years has bemoaned an indifference to Israel among the younger generation of American Jews. A 2007 study by Steven M. Cohen and Ari Y. Kelman, Beyond Distancing: Young Adult American Jews and Their Alienation from Israel, wears its thesis in the title. But more recent research, specifically American Jewish Attachment to Israel: An Assessment of the “ Distancing” Hypothesis by Theodore Sasson, Charles Kadushin, and Leonard Saxe, disputes this trend. Rather, it argues that “ age - cohort differences in attachment to Israel are likely related to lifecycle rather than the diverse experiences of successive generations. As American Jews grow older, they tend to become more emotionally attached to Israel. ” Not coincidentally, Irwin only got fully involved in his 50s. I hope his example, eloquently revealed in the pages ahead, will inform and inspire others.
अमेरिका और इजरायल के सम्बंधों को अपनी ऐतिहासिक शक्ति बनाये रखने के लिये यद्यपि कार्यकर्ताओं की नयी पीढी को आगे आना होगा ताकि वे अपने अग्रजों का स्थान ले सकें । हाल के वर्षों में अमेरिकी यहूदियों की युवा पीढी में इजरायल के प्रति उतना लगाव नहीं रहा है । वर्ष 2007 में स्टीवन एम कोहेन तथा एरी वाई केलमान के अध्ययन Beyond Distancing: Young Adult American Jews and Their Alienation from Israel में इसे इंगित किया गया था । परंतु अभी हाल के शोध American Jewish Attachment to Israel: An Assessment of the “ Distancing” Hypothesis में थियोडोर सासोन, चार्ल्स कादूसिन तथा लियोनार्ड साक्स ने इस रुझान का खंडन किया है । इसके बजाय उनका तर्क है कि, “ इजरायल के प्रति झुकाव को लेकर आयु सम्बंधी भिन्नता जीवन चक्र से अधिक सम्बन्धित है न कि पिछली पीढी के विविध अनुभव से सम्बंधित है । जैसे जैसे अमेरिकी यहूदी अधिक अवस्था के होते जाते हैं वे इजरायल के साथ अधिक भावनात्मक रूप से जुडते जाते है”
The Maharaja in the first convocation of this University in 1918 had eloquently said of Visvesvaraya, which I now quote:" I feel that I should acknowledge on this public occasion a debt of gratitude from myself and my people to Sir M. Visvesvaraya the Diwan of my state. It is chiefly his patriotism, his enthusiasm and his unflinching advocacy which converted what was once little more than a dream of the future into a living creation and his name will always be remembered above all others, as the man to whom our university owes its being”
1918 में इस विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में महाराजा ने विश्वेश्वरैया के बारे में सारगर्भित रूप से कहा था, ‘मैं महसूस करता हूं कि मुझे इस सार्वजनिक अवसर पर अपनी और अपने लोगों की ओर से अपने राज्य के दीवान सर एम. विश्ववेश्वरैया का आभार मानना चाहिए । यह मुख्यतौर से उनका देशप्रेम, उनका उत्साह तथा उनका दृढ़ समर्थन है जिसने भविष्य के एक छोटे से स्वप्न को एक जीती जागती रचना में बदल दिया तथा उनका नाम उन सभी व्यक्तियों में सबसे पहले लिया जाएगा जिनका हमारा विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के लिए ऋणी है । ’
He was overwhelmed when Patel ' s letter to Nehru about Tibet was published and J. P. began to admire him eloquently for his political vision.
तिब्बत के बारे में जब नेहरु जी को लिखा सरदार का पत्र प्रकाशित हुआ तो जे. पी. उनकी राजनीति सूझबूझ और दूरदर्शिता की और भी मुक्तकंठ से प्रशंसा करने लगे ।
Here was a native who had risen out of a milieu of benighted superstition, who spoke and wrote English eloquently, admired British customs and institutions, and dedicated himself to the welfare of his country and the empire.
वे एक देसी थे जो अंधविश्वासों के अंधकार में डूबे वातावरण से उठे थे, फर्राटे की अंग्रेजी लिखते और बोलते थे, ब्रिटिश रीति - रिवाजों और संस्थाओं के प्रशंसक थे और जिन्होंने अपने देश और साम्राज्य की भलाई के लिए अपने को समर्पित कर दिया था ।
We are clear that lasting peace can be built only on a foundation of mutual respect which was consistently and eloquently advocated by both Tagore and Gandhiji.
हमारा स्पष्ट मत है कि स्थाई शांति की स्थापना केवल पारस्परिक सम्मान की आधारशिला पर ही हो सकती है, जिसका टैगोर और गांधी जी दोनों द्वारा निरंतर और खुलकर समर्थन किया गया था ।
The values of freedom and equality befitting the dignity of the human individual, so eloquently proclaimed by the Preamble.
उद्देशिका में मानव की गरिमा के अनुरूप स्वतंत्रता एवं समानता के मूल्यों की घोषणा बहुत जोर से की गई है.
And yet it was a brave British ladv whose voice was at that time most eloquently raised on behalf of lndia.
दूसरी तरफ भारत की ओर से जिस साहसी महिला की आवाज उस समय बड़े जोर - शोर से उठाई जा रही थी वह थीं श्रीमती ऐनी बेसेंट, जिन्होंने भारत के होमरूल की जोरदार वकालत की थी ।