सरल
बेढंगा
Uncultured
In the same skandha, Pothana gave a charmingly natural description of the artless and hearty life of the Gopis and Gopas in their beautiful pastoral surroundings.
इसी स्कंध में, अबोध और सहृदय गोप - गोपी वृन्द का ग्रामीण परिवेस और उनकी जीवन - चर्या का पोतन्ना ने, बड़ा रमणीय और स्वाभाविक चित्र खींचा है ।
It is possible that the author wanted consciously to capture in Bengali prose the artless beauty of rhythm and expression he had unconsciously achieved in his English translations of Gitanjali.
यह संभव है कि लेखक ने जानबूझकर बंग्ला गद्य की लय एवं अभिव्यक्ति के अनगढ़ सौंदर्य को बांधने का सायास प्रयास किया था जैसा कि ? गीतांजलि ? के अंग्रेजी अनुवाद के समय अनायास ही प्राप्त हो गया था.
It is possible that the author wanted consciously to capture in Bengali prose the artless beauty of rhythm and expression he had unconsciously achieved in his English translations of Gitanjali.
यह संभव है कि लेखक ने जानबूझकर बंग्ला गद्य की लय एवं अभिव्यक्ति के अनगढ़ सौंदर्य को बांधने का सायास प्रयास किया था जैसा कि ‘गीतांजलि’ के अंग्रेजी अनुवाद के समय अनायास ही प्राप्त हो गया था ।