ज़ुबान बुरी हो सकती हैं मेरी,
लेकिन मैं बुरा इंसान नही हूँ
आया हूँ तो ज़रा शान से रहूँगा अभी,
आने जाने वाला कोई मेहमान नही हूँ।
लोग आपस में ही लड़ रहे अब दौलत के खातिर,
मैं कल का सोच कर आज से ही परेशान नही हूँ।
प्राकृति भी मेरे कण कण में बसती है,क्योंकि
प्यारा सा एक जंगल हूँ कोई वीरान नही हूँ।
आते जाते रहते हैं लोग जिंदगी में, अच्छा है
व्यस्त सी सड़क हूँ कोई, मैं सुनसान नही हूँ।
अपनो को ही हराकर आगे बढूं ये नही हो सकता है
थोड़ा बेवकूफ़ हो सकता हूँ पर शैतान नही हूँ।
सबके ख़ुश ही रखूँ हर समय मैं,ये सम्भव नहीं
हूँ तो आखिर इंसान कोई भगवान नही हूँ।
लोग बेकार भी समझते है तो अच्छा ही है
सबको समझ आ जाऊँ कोई किताबी ज्ञान नही हूँ।