अकेलापन केवल एक शब्द नहीं ग्रन्थ है,
इसमे अक्षर नही एहसास है,
ये डर नहीं एक सोच है,
अकेलापन अकेला नही भीड़ से घिरा है,
सोच की भीड़ ,समझ की भीड़, कहने की भीड़,
सुनने की भीड़ ,एहसासों की भीड़, जज़्बातो की भीड़
अकेलेपन में भीड़ ही भीड़ है
फिर भी क्यों तू तनहा है ?