यार वो बचपन ही प्यारा था

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Shivani Tiwari
Mar 11, 2019   •  51 views

ये बचपन भी ना, कितना प्यार भरा होता है, बहनों और भाईयों के बीच। क्योकि बचपन मे ही हमएक दूसरे के साथ रहते है, साथ मे खेलते हैं, साथ मे खाते है, साथ मे रोते है।, किसी से लडा़ई होने पर एक- दूसरे के साथ खडे़ रहना, एक-दूसरे से छोटी-छोटी बातें शेयर करना या फिर हर एक चीज को बॉट कर खाना मानो आदत बन जाती है हमारी, ये छोटे- छोटे पल कितने अनमोल होते है ना;

आखिरकार बडे़ होने पर ऐसा क्या हो जाता है, इतनी सारी यादें, इतने सारे पल कहा खो जाते है, कैसे इतने अनमोल रिश्ते एक पल मे टूट जाते है।

जहॉ छोटी सी लडा़ई होने पर एक- दूसरे को मना लेते थे, वहीं आज रिश्ते ही खतम कर देते है। जहॉ छोटे भाई के रोने पर अपनी चॉकलेट उसके हाथ मे रख देते थे, वहीं आज इतनी सी जायदाद के लिए कत्ल कर देते है, जहॉ पड़ोसी से लडा़ई होने पर सब साथ हो जाते थे, वही आज पड़ोसी से दोस्ती कर भाई के दुश्मन बन बैठे है। जहॉ बडे़ के अव्वल आने पर छोटा भाई ढ़िढोरा पीटता फिरता था, आज उसकी कामयाबी को देखकर जलन होती है, जहॉ बचपन मे सब एक थाली मे खाने के लिए मॉ से झगड़ते थे, वहीं आज एक घर में रहना पसन्द नही करते। जहॉ बचपन मे एक- दूसरे के बिना रह नही पाते थे वही आज एक दूसरे को देखना पसन्द नही करते ऐसा केवल

भाईयों-भाईयों मे ही नही होता बल्कि बहनों से भी रिश्ते टूट जाते है;

अचानक इतना बदलाव कैसे आ जाता है, शायद लोग अपने जीवन मे इतने व्यस्त हो जाते है कि उन्हें अपने अलावा कुछ दिखायी ही नही देता। कई बार तो रिश्तों मे दरारों की वजह औरते ही होती है, जो अपने मायके के रिश्ते तो बखूबी निभाती है, लेकिन ससुराल के रिश्ते निभाना उनको बोझ के समान लगता है। अगर उनको जायदाद औरों की अपेछा अधिक मिले तो उसे वो खुशी-खुशी स्वीकार करेगे लेकिन वही अगर मॉ बाप की सेवा करनी हो तो कहते है मैं ही सबकुछ क्यो करू? और लोग भी तो है ना। खैर ये सब बातें आज के समय मे मामुली हो गयी है।

आये दिन न्यूज मे देखने को मिलता है, इतनी सी जमीन के लिए एक भाई ने दूसरे भाई की हत्या की, क्या ऐसा करते समय उसे जरा भी दर्द नही हुआ होगा, बचपन से जिसके साथ रहा उसी की जान लेली, क्या इतनी सी जायदाद भाई से ज्यादा बडी़ हो गयी। काश ये सब करने से पहले मनुष्य जरा सा सोच ले सब यही छोड़ के जाना है खाली हाथ आया है, खाली हाथ ही जायेगा, फिर तेरे मन मे ये लोभ किस बात है।

और जहा तक बात है रिश्ते खतम करने की, जैसे बचपन मे सारी गलतिया माफ कर एक हो जाते थे उसी तरह आज भी माफ कर एक हो जाइए, आवेश मे आकर रिश्ते तोड़ना उचित नही है क्योकि "परिवार है तो सबकुछ है"

बचपन मे दादी से सुना था, हमारे समय मे परिवार की परिभाषा वो होती थी जिसमें दादा- दादी, ताऊ- ताई,
मॉ- पापा, चाचा- चाची और हम सब भाई बहन साथ रहते थे।
लेकिन शायद अब मुझे लगता है परिवार की परिभाषा का मतलब सिर्फ "हम दो हमारे दो" बनकर रह गयी है।

आज के इस दौर मे लोग रिश्ते तोड़ने के तमाम वजह ढूढ़ते है, कभी एक वजह जोड़ने की भी ढूढ़ लिया करिये।
यही सब देखकर लगता है, यार वो बचपन ही कितना प्यारा था जहॉ न मतलब के रिश्ते होते थे, और ना ही मतलब वाला प्यार।।

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Tanmay Pathak Undefined  •  16w  •  Reply
Haa yrr
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Anamika Tiwari  •  5y  •  Reply
Heart touching