'दरिंदगी का कोई धर्म नही होता...' कहने वालों जरा यह भी सोच लेना कि इंसाफ का भी कोई धर्म नही होता है। धर्म देखकर इंसाफ की गुहार लगाने वाले वो चन्द लोग न जाने आज कहा गुम हो गए हैं।
आपको याद होगा जब ,अप्रैल 2018 में कश्मीर के कठुआ गांव में एक मासूम बच्ची 'आसिफ़ा' से कुछ दरिंदो ने हैवानियत की थी, तब पूरा देश शर्मशार था... और आसिफा को इंसाफ दिलाने के लिए देश का हर एक नागरिक सड़क पर था...."I am Hindustan I am ashamed" का स्लोगन लेकर फिल्मी सितारे जमीन पर थे। लोगो के अंदर यह डर घर कर रहा था कि हिंदुस्तान में मुस्लिम समुदाय के लोग और उनके बच्चे असुरक्षित हैं। पर जब आज एक वैसी ही हैवानियत अलीगढ़ के 2 वर्ष की हिन्दू लड़की ट्विंकल शर्मा के साथ किया गया तो न जाने देश खामोश क्यों है? आखिर क्यों इंसाफ की गुहार लगाने वाले लोग कम हो गए हैं? देश वही है, लोग वही है, अपराध वही है, बदला है तो केवल "धर्म" । उस वक्त आरोपी हिन्दू था इस वक्त मुसलमान है... उस वक्त बेटी आसिफा थी इस वक्त ट्वींकल शर्मा है।
तो इस समय देश का सवाल यह है कि-
"कब तक इस देश मे धर्म के आधार पर इंसाफ होगा?"
सवाल यह भी है कि-
"आखिर कब ऐसे दरिंदो को जिंदा जलाया जाएगा?"
सवाल यह भी है कि-
"आसिफा और ट्विंकल का इंसाफ कब होगा?"
और सवाल यह भी है कि-
इस देश को "सेक्युलर इंडिया" और खुद को "लिबरल" कहने वाले पत्रकार चुप क्यों है?
सवालो के कटघरे में देश और प्रदेश की सरकार भी है कि-
"आपकी सरकार इतनी निकम्मी है कि देश मे मासूमों को इंसाफ नही दिला सकती?"
किसी ने सही कहा है-
"ताला टूट जाएगा संविधान की पेटी का.....
जिस दिन जिस्म नोचा जाएगा किसी सांसद, विधायक या मंत्री की बेटी का..."
इन आत्मघाती सवालों का जवाब हर एक भारतीय नागरिक को ढूंढना होगा जो अपने आप को देशभक्त करार देते आ रहे हैं।
और जब इन प्रश्नों का जवाब मिल जाएगा तो...धर्म से परे हर एक आरोपी को ऐसी दरिंदगी का सिर्फ एक सजा सजा-ए-मौत मिलेगा। अब इस देश मे आसिफा को भी इंसाफ मिलेगा और ट्विंकल को भी, चाहे आरोपी मस्जिद का मौलवी हो या मन्दिर का पुजारी।अब इस नए भारत मे
"मजहब के नाम पर..इंसाफ,नही होगा दाव पर"
निशान्त जायसवाल
विद्युत अभियंत्रिकी प्रथम वर्ष
आई०ई०टी०लखनऊ
Picture Source:-
Whiteboard IET Lucknow