"भगवान" का हड़ताल, बेहाल बंगाल!

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Nishant Jaiswal
Jun 17, 2019   •  23 views

भारत एक ऐसा देश है, जहाँ के डॉक्टरों को भगवान की संज्ञा दी जाती रही है, एक डॉक्टर जिस प्रकार से अपने मरीज को नया जीवन देता है वो किसी दैवीय चमत्कार से कम नहीं। पर आज देश मे परिस्थितियां कुछ विकट है। देश के पश्चिम बंगाल में देवतुल्य डॉक्टर हड़ताल पर है। दरअसल यह घटना पश्चिम बंगाल के निल रतन सरकार मेडिकल कॉलेज से 10 जून 2019 की शाम को शुरू हुई जब अस्पताल में एक 85 वर्ष के वृद्ध मोहम्मद सईद की उपचार के दौरान मृत्यु हो जाती है। NRS मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों का कहना है कि मरीज के परिजनों ने लगभग 200 साथियों के साथ डॉक्टरों पर हमला कर दिया इस दौरान कई डॉक्टर गम्भीर रूप से घायल हो गए। यही से पश्चिम बंगाल के जूनियर डॉक्टरों ने आंदोलन की शुरुआत की, और डॉक्टरों की खास सुरक्षा व्यवस्था की मांग को लेकर सड़क पर है। और हो भी क्यो न? आम जन को बीमारी से सुरक्षित रखने वाले लोग स्वंय असुरक्षित हो, यह बात निंदनीय है । डॉक्टरों की हड़ताल से पश्चिम बंगाल की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है, मरीज बेहाल हो रहे है और ममता सरकार बेखयाल है।

धीरे धीरे जब आंदोलन विकराल रूप लेने लगा तो ममता बनर्जी सरकारी अस्पताल का मुआयना करने पहुँची, डॉक्टरों को चेतावनी दी कि वह जल्द से जल्द इलाज करने पहुँचे, लेकिन ममता जी शायद यह भूल रही है ,यह लोकतंत्र है और हड़ताल हमारी अभिव्यक्ति की आजादी, और ये आंदोलन तब तक चलता रहेगा जब तक सरकार डॉक्टरों की मांग को पूरा नही कर देती।

यहां तक तो सब ठीक था, लेकिन ममता जी ने बंगाल के डॉक्टरों को बाहरी करार देते हुए और इसे बीजेपी की साजिश बताते हुए अपनी राजनीति को आंच दे दी, तो विपक्ष कहा पीछे हटने वाला था बीजेपी के मुकुल राय ने कहा कि 'इस हिंसा के पीछे एक विशेष समुदाय के लोग हैं जो TMC समर्थक हैं' । हमारे देश मे विशेष समुदाय का मतलब क्या होता है यह आप भी जानते हैं और हम भी।

सियासी दाव पेंच के पीछे देशभर के डॉक्टर हड़ताल पर आ गए, एक छोटी सी घटना ने ममता सरकार के तानाशाह और अड़ियल रवैये की वजह से एक विकराल आंदोलन का रूप ले लिया है। आल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन ने 17 जून को देशव्यापी हड़ताल रखी है।देश के सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर अपनी मांग को लेकर धरने पर हपर इन सब के बावजूद ममता सरकार के सामने सवाल यह है कि

"TMC सरकार की कानून व्यवस्था एकदम लचक चुकी है?"

"क्या ममता सरकार में कोई भी नागरिक सुरक्षित नही है?"

"बंगाल की जनता ममता सरकार से संतुष्ट है?"

और आखिरी सवाल की-

"क्या ममता सरकार तानाशाह हो गयी है?"

सवालो के जवाब निश्चित तौर पर आत्मघाती है।

इन सब से परे इस आंदोलन में देश भर में आम जन जीवन प्रभावित हुआ, मरीज इलाज को लेकर दर दर भटक रहा है। अब सब की आंखे ममता सरकार पर टिकी हुई है कि आखिर सरकार इस परिस्थिति से बंगाल को कैसे बचाती है?

निशान्त जायसवाल

विद्युत अभियंत्रिकी प्रथम वर्ष

आई०ई०टी० लखनऊ

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