पूर्वाभाद्रपद
इस नक्षत्र के देव अजयकपत और स्वामी गुरु है | इन जातकों में स्वार्थ परकता अधिक होती हैं |इनमें बौद्धिक विकास कम होता है | अपनी पत्नी या पति को ससुर पक्ष को लेकर टोकते रहते हैं | लेकिन उत्साह के मामले मे ये सबको पीछे छोड सकते हैं |
उत्तर भाद्रपद
इस नक्षत्र के देव आहिर बुधन्या है और स्वामी शनि है | ये स्थिरचित्त और औसत स्वार्थपरक होते है | बौद्धिक विकास अच्छा होता है | इऩ्हे सफ़लता प्राप्त होती है | हर विषय कि गहराई में उतरना पसंद करते हैं | धर्म और दर्शन का ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करते हैं | प्रत्येक कार्य मे संतुलन बनाए रखते हैं | लगनशील होते हैं और दुसरों की मदद करना पसंद करते हैं |
रेवती
इस नक्षत्र के देव पुश्वव और स्वामी बुध है | इन जातको में स्वार्थ और भय कि भावना ज्यादा पायी जाती है | इस नक्षत्र में इस राशि के जितने ज्यादा अंश होंगे राशि के गुण उतने ज्यादा पाये जायेंगे | बढ़ती उम्र के साथ ये कमजोर होते जाते हैं | इनमें संचय करने की मनोवृत्ति पायी जाती है |