छोड़ दो स्वछंद उसे उड़ने दो

पर है उसके उनको खुलने दो

थोपना मत अपनी पसंद सामाजिक बंधन

आसमान उसका भी है उसे अपनी मंज़िले चुनने दो

छोड़ दो स्वछंद उसे उड़ने दो।

डॉ. अविराग स्वरूप शुक्ला

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