प्रफुल्लित करना[होना]
The third and last is of another ' s experience, of Buddha himself: To a Buddha seated on a Lotus Lord Buddha, on thy lotus - throne, With praying eyes and hands elate, What mystic rapture dost thou own, Immutable and ultimate.
तीसरी और अन्तिम कविता दूसरे के अनुभव से संबंधित हैस्वंय बुद्ध के अनुभव सेः भगवन् बुद्ध, निज पद्मासन पर, प्रार्थना करते नेत्रों व ऊर्ध्व हस्तों से, कौन - सा उल्लास मिलता है तुम्हें, अपरिवर्तनीय और अन्तिम ?