बहुत दिनों से ही बड़ी इच्छा थी कि क्यों न इस बदलते ज़माने का लेखा-जोखा और अपने अंतर्मन की आवाज़ को इस कागज़ की सफ़ेदी पर उतारा जाए, और आखिरकार वह घड़ी आ ही गयी है। वैसे घड़ी से तो मुझे याद आती है मेरे दादाजी के ज़माने की घड़ी, जो भले ही कुछ आने की थी लेकिन समय बड़ा ही सही दिखाती थी। भले ही उसमें आज के ज़माने की घड़ियों की तरह “आर्टिफ़िश्यल इंटेलिजेंस” न हो लेकिन मजबूती तो इतनी हुआ करती थी कि अगर एक बार ज़मीन पर गिर भी जाए न तो उसकी सुइयाँ भी टस से मस न हो। लेकिन आजकल तो ज़माना आ गया है स्मार्ट वॉच का, जिसे देखो अपने कलाई पर बांधे घूमता रहता है, वैसे अगर देखा जाए तो काम की बहुत है ये ‘स्मार्ट वॉच’, इसमें हम समय देखने के साथ-साथ फोन पर करने वाली सारी चीज़ें कर सकते हैं जैसे आप इससे अपनी कॉल उठा सकते हो, और तो और आप अपने जरूरी मेल्स भी चेक कर सकते हैं, तो भई मानना पड़ेगा, आजकल तो ये घड़ियाँ समय से भी ऊपर उठ गईंहैं।

अब बात कर ली जाए थोड़ी मोबाइल फोन्स की, अब अगर मोबाइल फोन की बात करी जाए तो आईफोन X बात से वंचित रह जाए, ऐसा तो हो ही नहीं सकता है। 2018 में ही लॉंच किया गया यह बेहतरीन स्मार्ट फोन भारत में नए रेकॉर्ड बना रहा है, इसका 5.8 इंच का रेटिना OLED डिस्प्ले भी बहुत ही जबर्दस्त लगता है। इसमें जोड़ा गया नया ‘फ़ेस अनलॉक’ के फीचर भी इसको अन्य स्मार्ट फोन्स से अलग बनाता है। इस बार आईफोन ने नए वाइरलेस चार्जिंग का विकल्प भी अपने यूसर्स को दिया है। आईफोन को टक्कर देने के लिए एक और स्मार्ट फोन ‘वनप्लस 6’ लॉंच किया गया और इसने लोगों के जीवन में मानो तहलका मचा दिया है। ये स्मार्ट फोन समुद्र मंथन द्वारा निकले हुए अमृत के समान प्रतीत होता दिख रहा है जोकि कम दाम में अद्वितीय गुणवत्ता प्रदान कर रहा है। यह बात तो माननी पढ़ेगी कि आईफोन को हर चीज़ में टक्कर देने के लिए मार्केट में कई स्मार्ट फोन लॉंच किए गए लेकिन बाज़ी तो वनप्लस 6 के हाथ ही लगी है।

अब कुछ विचार-विमर्श आज कल के बढ़ते हुए गेमिंग के कीड़े पर कर लिए जाएँ, यह गेमिंग का कीड़ा ही तो था जिसने मोदीजी को भरे बाज़ार में “यह PUBG वाला है क्या?” कहने को विवश कर दिया था, छात्रों में तो ये PUBG इतना ज्यादा लोकप्रिय हो चुका है कि देश में कई जगह तो इसी गेम को खेलने के लिए आत्म-हत्याएँ भी होनी शुरू हो गयी हैं। अब तो घरों में माताएँ भी बड़ी परेशान हैं, उनका कहना मोदीजी से यह है कि, “मोदीजी! खाने में बनाए कौनसी ऐसी सब्जी की अब बंद हो ये PUBG”, भई अब उनकी परेशानी है भी तो काफी गंभीर क्योंकि अगर बच्चे बाहर खेलने की उम्र में घरों में बंद रह कर ऐसे गेम खेलेंगे तो फिर तो देश पर बड़े संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मेरी मानें तो मोदीजी भी अब इस गेम की रास-लीला भारत में बंद करने की सोच ही रहें होंगे। वैसे गोवा में तो इस चीज़ पर पहले ही अमल किया जा चुका है और वहाँ के सीएम महोदय ने तो पहले ही समझदारी दिखाते हुए इसे बड़ी जल्दी ही इस गेम को बैन कर दिया है।

अब बात कर ली जाए कुछ ऐसे नए आविष्कारों की जिन्होंने लोगों के जीवन में बड़ी क्रांति लायी है। इसमें मैं पहले स्थान पर रखना चाहूँगा ‘eurosealer’ का बैटरी से चलने वाला सुपर सीलर, यह चीजों को खराब होने से बचाता है।

बचे हुए चिप्स के पैकेट को अगर खराब होने से बचाना है तो इसे सुपर सीलर से सील करना काफी बेहतर विकल्प है। दूसरे स्थान पर मैं रखना चाहूँगा ‘एमएसफिट’ द्वारा बनाई गयी शाइन 2 फ़िटनेस और स्लीप मॉनिटरिंग घड़ी को, यह घड़ी कहीं भी पहनी जा सकती है और ये आपके स्मार्ट फोन पर एप से आसानी से जुड़ जाती है। इसकी सबसे खास बात जो मुझे लगी कि इसको चार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ती है और इसको पानी में 50 मीटर तक गहराई में उतारा जा सकता है। चौथे स्थान पर मैं रखना चाहूँगा ‘ट्रीवाए’ को, जोकि बहुत ही अनुकूल और बहुउद्देशीय रसोई की सामग्री साबित हो रहा है। इसका इस्तमाल ग्रहणियाँ बड़े ही आराम से बर्तन रखने और खाना परोसने के लिए कर सकतीं हैं और तो और इसकी रचना इस प्रकार से की गई है कि यह काफी भारी वजन भी बड़ी ही आसानी से सहन कर सकता है।

अब इस प्रोद्योगिकी के ज़माने में तो एक बटन दबाते ही दुनिया में जिसको चाहे उसको मेल भेज सकते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कम्प्युटर के शुरुआती युग में यह काम बड़ा ही कठिन हुआ करता था। एक टेक टीवी शो ‘डाटाबेस’ ने यह दर्शाया था कि उस ज़माने में इस एक वाक्य के छोटे से संदेश भेजने में भी काफी मेहनत लगी थी। आपको यह जानकार तो बहुत हैरानी होने वाली है कि वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) से पहले ही ईमेल की शुरुआत हो गयी थी।

आजकल के ‘जियो’ के ज़माने में तो इंसान को 1 जीबी भी एक दिन में कम पढ़ जाता है, लेकिन 1956 में जब पहला कम्प्युटर लॉंच किया गया था तब 5 एमबी की कीमत भी आज के 1 जीबी से भी ज्यादा हुआ करती थी। उस समय 5 एमबी का डाटा भी 50 बड़ी एल्युमिनियम डिस्क तक फैला हुआ था।

अब तक हमने विज्ञान और प्रोद्योगिकी से जुड़ी बहुत सी बातों पर विचार-विमर्श किया लेकिन यह तो कठोर सत्य है कि जबतक इसका उपयोग गलत तरीके से होता रहेगा, तब तक मानवता का पूर्ण रूप से विकास नही हो सकता है। आज छात्र पढ़ने-लिखने की उम्र में मोबाइल फोन के लिए अपनी जान तक गवा रहें हैं लेकिन उनको यह बात उनके माता-पिता को समझानी चाहिए कि “तकनीकी का सदुपयोग एक वरदान है और दुरुपयोग अभिशाप” तथा हर एक चीज़ की अति हमेशा हानि करती है।

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