आजकल फास्ट फूड आधुनिकता का पर्याय बन गए हैं और इसी आधुनिकता के चलते कब अल्सर, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, बहरापन, जैसे रोग भी बढ़ रहे हैं। पश्चिमी तरीके से तैयार फास्ट फूड का सेवन करने वाली जो अनजाने में रोगों को आमंत्रित कर रहे हैं। आकर्षक व सुविधाजनक हर जगह उपलब्ध होने वाले फास्ट फूड को लोगों ने जिस तेजी से बनाया है उतनी रफ्तार से लाइलाज बीमारियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। दरअसल, यह बहुराष्ट्रीय कंपनियों की आड़ में बाजार में कब्जा करने के लिए खाद्य पदार्थों को घटिया तरीके से बेचना शुरू कर दिया है।
आमतौर पर डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ बाजार में लंबे समय तक टिके रहते हैं, हानिकारक होते हैं। बिस्कुट, नमकीन, मिठाईयां इतने लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए रसायनों का इस्तेमाल होता है। शरीर के अंगों को क्षति पहुंचाते हैं। डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का चलन तेजी से बढ़ रहा है। आजकल बाजारों में जैसे चटपटे, जायकेदार व्यंजन मिलने लगे हैं जिन्हें जब चाहे जहाँ खोलिए और खाइए कहीं भी कभी भी लजीज व्यंजन के भरोसे डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों को पश्चिमी तर्ज पर परोसा जा रहा है, जिसके चलते भारतीय व्यंजन फीके पड़ने लगे हैं।
महंगा फास्ट फूड खरीद कर अपनी सेहत बिगड़ने वाले लोग आधुनिकता का दंभ भरते नजर आते हैं। मगर धीरे-धीरे इनका दुष्प्रभाव शुरू होता है, तब चिकित्सकों के भरोसे वे अपने जीवन की गाड़ी घसीटने को मजबूर हो जाते हैं। स्वाद को बढ़ाने वाला और भोजन को तरोताजा रखने वाले रसायन भी घातक हैं अजीनोमोटो नामक रसायन दुकानों में सहजता से उपलब्ध है। यह बासी खाद्य पदार्थों को तरोताजा बना देता है लेकिन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक सिद्ध होता है। शाकाहारी को तो इससे अवश्य बचना चाहिए क्योंकि यह जैविक चर्बी से बनता है।
अतः इन डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ से जितनी दूरी बनाएगे, वह आपके लिए ही अच्छा होगा। अपने बच्चों एवं परिवार को इस मुसीबत से बचाना हमारा ही कर्तव्य है और हमारी आने वाली पीढ़ी को जागरूक करना भी हमारी जिम्मेदारी है। इसलिए आज से ही डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का बहिष्कार करें।