ख्वाहिश थी मेरी उड़ने की,

पंख आपने लगा दिये पापा।

जब भी डगमगाई,

सामने पाया आपको पापा।

ना दिन देखा ना रात देखी, जब भी अकेली थी दिया मेरा साथ।

हुई मुझसे बहुत सी गलतियाँ,

पर कभी ना छोडा आपने मेरा साथ, और ना छोडा करना भरोसा।

सहा है आपने बहुत कुछ,

और ना बताया हमें कुछ,

मगर दिखता है हमें सब कुछ,

अब हम तीनों दिखाएँगे लोगों को बहुत कुछ,

आपकी आवाज़ बन कर,

आपके सपने पूरे कर कर।

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