धारा 370: कानून या राजनीति

profile
Nishant Jaiswal
Jun 07, 2019   •  38 views

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ऐसा कानून है जो जम्मू और कश्मीर राज्य को स्वायत्तता का दर्जा देता है।संविधान के भाग XXI में कानून को अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान के साथ बनाया गया है।जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा को, इसकी स्थापना के बाद, भारतीय संविधान के उन नियमों की सिफारिश करने का अधिकार दिया गया था जिन्हें राज्य में लागू किया जाना चाहिए या अनुच्छेद 370 को पूरी तरह से निरस्त करना चाहिए।बाद में जम्मू-कश्मीर संविधान सभा ने राज्य के संविधान का निर्माण किया और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की सिफारिश किए बिना खुद को भंग कर दिया, इस लेख को भारतीय संविधान की एक स्थायी विशेषता माना गया। मतलब देश एक और संविधान दो…? अनुच्छेद 370 सीधे तौर पर आम कश्मीरियों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। क्योंकि कश्मीर की आम जनता कश्मीर में विकास चाहता था, रोजगार चाहता है पर देश का कानून ये इजाजत कश्मीरियो को नही देता है।
सन 1954 में तत्कालीन नेहरू सरकार ने एक ही देश मे दो संविधान लाकर देश की जनता के सामने एक विशाल चुनौती खड़ी कर दी जो आजादी के 75 साल बाद भी एक चुनौती ही है। आपको बता दे कि अनुच्छेद 370 किस तरह से कश्मीरियो को आम भारतीय नागरिक से अलग बनाता है । आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि कश्मीरियो को राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान करने पर कोई सजा नही होती। कश्मीर भारत का एक अभिन्न हिस्सा है पर इस हिस्से में अलगाववादी ताकतों ने इसे इतना कमजोर कर दिया है कि देश अब दो टुकड़ों में बटने के कगार पर आ गया है। देश के संविधान को बजाने के लिए धारा 370 का संविधान से निष्कारण अत्यंत आवश्यक हो गया है।देश मे जहाँ सत्तासीन पार्टी धारा 370 के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय में जाकर खड़ी है वही विपक्ष के सारे दल धारा 370 के समर्थन में है, और हो भी क्यो न? विपक्ष के नेता को कश्मीर में सत्ता की रोटियां जो सेकनी है। एक देश एक सविंधान एक लोकतंत्र की व्यवस्था क्यो नही की जा सकती देश मे? कश्मीर का आम नागरिक निश्चित तौर पर धारा 370 को हटाना चाहेगा क्योकि आम जनजीवन कश्मीर में एकता अखण्डता और संप्रभुता देखना चाहेगा। पर इन सब प्रश्नों का जो हल है वो यह कि धारा 370 संविधान में बना रहेगा या नहीं? देश की एकता और अखंडता को बनाये रखने के लिए इस मुद्दे का तत्काल समाधान आवश्यक है। सत्तासीन पार्टी भी इस मुद्दे पर कटघरे में खड़ी हो जाती है कि

जब पूरे 5 साल आपकी सरकार पूर्ण बहुमत से सत्ता में थी तो धारा 370 के निष्कारण के लिए संसद में विधेयक क्यों नही लाया गया? इसका उत्तर सीधा है कि देश की सभी राजनीतिक दलों के लिए कश्मीर और धारा 370 केवल राजनीतिक मुद्दा है जिस पर सभी दलों को राजनीति करनी है।आम कश्मीरियो का भविष्य मात्र एक परिकल्पना बन कर रह गया। देश के संविधान को बचाने के लिये धारा 370 का निस्तारण देशहित में सराहनीय कदम होगा।

निशान्त जायसवाल

विद्युत अभियंत्रिकी प्रथम वर्ष
आई०ई०टी० लखनऊ

5



  5