माता पिता और बच्चो का रिश्ता

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Juhi Tomar
Apr 15, 2019   •  30 views

रुलाना हर किसी को आता है,
हसाना हर किसी को आता है,
रुला के जो मना ले ,वो पापा
रुला के जो खुद रो पड़े ,वो माँ

माता पिता और बच्चो का रिश्ता बहुत ही अनोखा रिश्ता होता है । माता पिता और बच्चो के संबंध को आदर्श बनाने के प्रयत्न आपको हर कही देखने को मिलते है। माता पिता की कोशिश रहती है कि वे अपने बच्चो को हर वो चीज़ मुहैया करवाये , जो उन्हें हासिल न हुई हो। चाहे वो अच्छा स्कूल मे पढाई हो या , वीडियो गेम्स ,आलीशान बर्थडे पार्टी हो या फिर विदेश की सैर। जहाँ माँ बाप अपने बच्चो की इच्छा पुरी करने के लिए मेहनत करते है

माता पिता चाहते है कि उनके बच्चे उन्हें एक दोस्त समझे ,वो चाहते है कि बच्चे हर बात उनसे शेयर करे,उनके बीच किसी भी प्रकार की दूरी न रहे। बच्चो ओर माता पिता के बीच दोस्तन रिशते अगर एक दायरे में रहे ,तो संबंधो में दरार नही आती। लेकिन ऐसा नही होता । बच्चे कब हद पारकर जाते है, इस बात का अभिभावको को पता हीनही चलता।

बच्चो का दोस्त बनने के लिए उनकी हर ज़िद पुरी करना ज़रूरी नही है। बल्कि शुरू से उन्हें सही मूल्य और संस्कारदेना चाहिए । उन्हें तर्क के साथ बताए की बड़ो के साथ मार पीट या डॉट फटकार क्यों गलत है।बच्चोको सेंसिटिव बनानास्कूल का नही, माता -पिता का दायित्व है। अगरशुरू से उन्हेंपैसो से कोई चीज़ ले दे कर बहलाया जाएगा, तो मानवीय मूल्यों की इज़्ज़त नही कर पाएंगे ।

बच्चो को वक़्त दो उनको समझाओ की ये दुनिया न तो इतनी सीधी है और न ही इतनी टेढ़ी परंतु हमारा कर्तव्य, संस्कार , शिक्षा आदि ये सब हमे इन दुनिया से लड़ने के लिए प्रेरित करता है। बच्चो की बातों पर विश्वाश रखना चाहिए पर इतना भी नही की वो झूठ बोले तो उसकी बातों पर विश्वाश कर लो ।

माता पिता ही एक ऐसा सहारा होते है जो बच्चो को किस भी प्रकार की मुश्किलों सेनिकाल सकते है । चाहे वो मुश्किलें पढाई से जुड़ी हो , या किसी भी प्रकार की रिलेशनशिप से जुड़ी हो या परिवार से आदि इन सब मुश्किलो से निकलने के लिए हमारे माता पिता हमारे साथ रहते है।

माता पिता को बच्चो की छोटी सी छोटी गलतियों के लिए उन्हें समझना चाहिए और बच्चो को उन आदत को सुधारने के लिए बोलना चाहिए। मा बाप को अपने बच्चों को समझना चाहिए कि वो क्या करना चाहता है अपने जीवन मे , उस बच्चे के दिमाग मे क्या चल रहा है ये जानने का प्रयास करना चाहिए।

माता पिता को कभी भी अपने बच्चो को किसी भी प्रकार का दबाव नही डालना चाहिए जिससे कि वो किसी भी गलत कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाये।

माता पिता के बिना बच्चा अधूरा है और बच्चे के बिना माता पिता। जब हम जुड़े ही साथ निभने के लिए है तो ज़िन्दगी में किसी और कि ज़रूरत नही होती । बच्चो को इस तरह रखो की वो अपनी पेटसोनाल लाइफ के बारे में भी बता सके चाहे वो उनके प्यार स जुड़ा हो , या फिर पढ़ाई स।

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166 Ward 03 Porsa Shahri  •  5y  •  Reply
Sahi kaha aapne ...
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Sundar Tomar  •  5y  •  Reply
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