नारीवाद एक ऐसा दर्शन है, जिसका उद्देश्य है- समाज में महिलाओं की विशेष स्थिति के कारणो का पता लगाना और उनकी बेहतरी के लिए वैकल्पिक समाधान प्रस्तुत करना। नारीवाद ही बता सकता है कि किस समाज मे नारी सशक्तिकरण के लिए कौन कौन सी राणनीति अपनाई जानी चाहिए। महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नही है, इसके बावजूद उन्हें अवसरों से वंचित कर दिया जाता है।
फेमिनिज्म/ नारीवाद - ऐसा विशवास या सिद्धान्त की स्त्रियों और पुरुषों को समान अधिकार और अवसर प्राप्त होने चाहिए।
फेमिनिज्म क्या है?
1. जन्म लेना का समान अधिकार : हमारे देश में लड़किया पैदा होने के पहले मार दी जाती है । महिलाओ को बेटियां पैदा करने के कारण प्रताड़ित किया जाता है । सभी बच्चो के जन्म का समान अधिकार होना चाहिए।
2. हर बच्चो को पढ़ने ,खेलने , कूदने और स्वास्थ्य परवरिश प्राप्त करने का सामान अधिकार : किसी भी परिवर्तन की शुरुआत अपने घर से होती है । लड़के लड़कियों दोनो को एक जैसा परिवेश दीजिए । लड़के और लड़कियों को अपनी संपत्ति और परवरिश का समान रूप से उपभोग करने दिजीए।
3. जीवन के फैसले लेने का मूलभूत अधिकार । विवाह करने का या नही करने का अधिकार। अपने सुयोग्य जीवन साथी का चुनाव का अधिकार । वैवाहिक जीवन सुखी न होने पर सम्मान के साथ अलग होने का अधिकार । किसी विधवा को पुनर्विवाह का अधिकार।
4. सुरक्षा और न्याय का समान अधिकार : बिना किसी लैंगिक भेदभाव के , कानूनी सहायता मिलना। दहेज और बलात्कार जैसे आरोपो की निष्पक्ष जांच करवाना।
आज समाज में फेमिनिज्म के नाम पर दरिंदगी फैलाये हुए है। अभी हाल ही में दिल्ली के एमिटी कॉलेज में कुछ लड़कियों ने बेवज़ह लड़कों पर हमला कर दिया जिसकी वजह से लड़को की हालत गंभीर नज़र आई। आज समाज में फेमिनिज्म के नाम पर सोशल साइट्स पर लड़कियां अपने अशलीलता के वीडियो के जरिए अपने अंग का प्रदर्शन कर रही है। यह किसी भी प्रकार का फेमिनिज्म है ही नही।
फेमिनिज्म एक सिद्धान्त है जहाँ औरतो को पुरुषों के समान माना जाता है । जितना हक लड़को को खुलकर जीने का उतना ही हक लड़कियों का हैं। आज ऐसी कई महिलाएं समाज में अपना नाम रोशन कर रही है फिर चाहें वो एक ट्रेन ड्राइवर हो , महिला पुलिस हो , पत्रकार हो, कवि , या एक शिक्षक हो। फेमिनिज्म यह है जहाँ महिलाएं बिना किसी रोकटोक के समाज के लिए एक मिसाल बन रही है।