दहेज की प्रथा

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Juhi Tomar
Apr 02, 2019   •  68 views

आज हमारे देश भर में चलती आ रही दहेज प्रथा पुरानी है।दहेज के अर्थ है जो सम्पति , विवाह के समय वधू के परिवार के सदस्य वर के परिवार को देते है। आज के आधुनकि समय में भी दहेज प्रथा अभी भी विकराल रूप में है।

दहेज प्रथा हमारे समाज के लिए एक कलंक है जो दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है । यही दहेज प्रथा अब बहु बेटियों की जान भी लेने लगा है। दहेज प्रथा का चंगुल हर जगह व्याप्त है। इसकी जड़ें इतनी मजबूत है की चाहे अमीर हो या गरीब हर वर्ग के लोगो को जकड़ लेता है।

दहेज प्रथा के कारण हत्याएँ

देश मे ओसतन हर एक घँटे मेंएक महिला दहेज संबंधी कारण से मौत का शिकार होती है औरहर वर्ष 8,223 मामले सामने आते है। आँकड़ो का औसत बताता है कि प्रतियेक घँटे में एक महिला दहेज की बलि चढ़ रही है।

समाज कभी अपनी सोच इस मामले में क्यों नही बदल पाता अगर आपके घर में बेटी है जितनी तकलीफ आपको दहेज देने में हुई होगी उतनी तकलीफ आपके घर में जो बहु आएगी उनके परिवार को भी होगी बस इतनी सी बात को समझने की देरी है

आज हर लड़की का बाप अपनी लड़की की शादी में न जाने दुनियां भर की चीज़ें जो कि उसको लोकप्रिय होती है वो बेच डालता है चाहे उसकी जमीन , दौलत, खेत, और घर ही क्यों न हो । तब लोगो की मानव मानसिकता कहा चली जाती है जब लोग अपनी आंखों से यह सब देख रहे होते है वो क्यों नही समझते जैसे उनकी बेटी है वैसे मेरे घर में भी एक बेटी है अगर में दहेज लूंगा तो मुझे भी किसी भी कीमत पर दहेज देना पड़ेगा।

देश के वासियों ,सोच को बदलो
दहेज न लो और न ही दो
घर प्यार और लोगो के साथ से चलता है
पैसो से सिर्फ भूख मिटटी है।

दहेज लेना लोगो में एक गर्व का विषय बन चुका है , वह सोचते है कि अगर हम ने दहेज नही लिया तो समाज मे उनकी कोई इज़्ज़त नही रहे जाएगी इसलिए लड़के वाले लड़कियों से जितनी ज्यादा हो सके उतनी दहेज की मंग करते है । पुरानेरीतिरिवाजों बना दिया है जिसे भारत के हर वर्ग नेअच्छी तरह से अपना लिया है ।

आजसमाज में इसके खिलाफ न लोग आवाज़ उठाना चाहते और न ही बोलने की हिम्मत है लोगो में क्योंकि इसमे सब अपना अपना स्वार्थ देखते है ।दहेज की प्रथा नही लोगो की सोच ने उनको इतना लालची बना दिया है दहेज न देने पर शादी न करना और अगर कुछ लोग शादी कर भी लेते है तो उन पर अत्याचार करना जिसके कारण माता पिता दहेज देने के लिए तैयार हो जाते है यही एक मजबूरी का लोग फायदा उठाते हैं।

दहेज प्रथा को लेकर बनाये गए कानून

दहेज निषेध अधिनियम ,1961के अनुसार दहेज लेने देने या लेन देन में सहियोग करने पर 5 वर्ष की कैद और,15,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है

दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए जो कि पति और उसके रिश्तेदार द्वारा सम्पति अथवा कीमती वस्तुओं के लिए अवैधानिक मांग के मामले से ,संबंधित है उसके अंतर्गत 3 साल की कैद ओर जुर्माना हो सकता है।

जो भी व्यक्ति दहेज को शादी की जरूरत शर्त बना देता है ,वह अपने शिक्षा और अपने देश की बदनाम करता है और साथ ही पूरी महिला जात का भी अपमान करता हैं|

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Juhi Tomar  •  5y  •  Reply
Thankyou chacha ji
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दीपक सिंह तोमर  •  5y  •  Reply
बहुत खूब लाडो
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Juhi Tomar  •  5y  •  Reply
Thankyou mom and dad and bhaiya ji also
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Ad Thakur  •  5y  •  Reply
Gjb
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Shi h dii
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गजब