वो किस्से कहानियां ...

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Gauri Mangal
Jul 02, 2019   •  78 views

ज़रा याद करो वो मासूम नादानियाँ

वो बचपन की मस्ती,

वो नानी की लोरियां...

कभी हस्ती मुस्कुराती,

वो मासूम चालाकियां

तो कभी आँखें भर देती वो,

किस्से कहानियां...

उन नन्हे क़दमों की धमाचौकड़ी,

उन तपती ज़मीनों पे वो पकड़ा पकड़ी

वो दूल्हा सजा कर लाया,

तो वो सजाती अपनी गुड़िया

बस यूं ही थे

बचपन के

किस्से कहानियां...

आज इसके घर जाती,

तो कल उसके घर की बारी

अनेक घरों में बसाती वो,

अपने खिलौनों की बस्तियां

आज भी याद है

वो छनछनाते खिलौनों की कहानियां...

कभी चूड़ी, कभी बिंदी,

तो कभी चुपके से

उठा लेती, वो माँ की साड़ियां

उनकी झूठी और सच्ची सी

घर घर की कहानियां...

निश्छल मन,

और मासूम नादानियाँ

बस ये ही यादगार बना देते थे,

वो गर्मी की छुटियाँ...

एक बार फिर चाह होती है,

उस बचपन में जाने की

एक बार फिर चाह होती है,

उस गाँव में खो जाने की...

एक बार फिर मन करता है,

की वैसे ही जी भर कर खेले

जैसे खेलते थे मेरे गाँव के,

लड़के और लडकियाँ

जब भी याद आते हैं

वो किस्से कहानियां ...

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Profile of Aarti Nandrekar
Aarti Nandrekar  •  4y  •  Reply
Nice one.. do check mine as well