मंज़िल का मुसाफिर

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Dr.Avirag Swaroop Shukla
May 15, 2019   •  0 views

ये दिन कितने खाली
राते कितनी तन्हा है
बोझिल सासों सी जिंदगी
ख्वाब मेरे कितने बे परवाह है
मंजिलो की चाहत है
अपनो का न साथ है
मुझे मेरे सपनो ने अपनो से काफिर बना दिया
सब भरम टूटेगा
जब मंजिल पर ये काफ़िर पहुचेगा
तब तक दुनिया और अपनो के लिए काफिर ही सही.....
ज़िन्दगी एक सफर
मैं मुसाफिर ही सही
डॉ. अविराग

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