प्रधान
शासक
शासकीय
प्रभुत्व सम्पन्न
स्वतन्त्र
स्वायत्त
अधिराज
सावरन
अधिपति
Autonomous
Self-governing
The Parliament, like other organs of the Government, is not sovereign and owes its origin and authority to the Constitution and derives its functional responsibility from, and discharges its responsibilities within the framework of the Constitution.
संसद, किसी भी अन्य संगठन की तरह ही, संप्रभु नहीं है तथा यह अपने अस्तित्व और प्राधिकार संविधान से प्राप्त करती है तथा यह अपना कार्यात्मक उत्तरदायित्व संविधान से प्राप्त करती है और इसके ढांचे के तहत ही अपने उत्तरदायित्व पूर्ण करती है ।
India supports a negotiated solution, resulting in a sovereign, independent, viable and united State of Palestine with East Jerusalem as its capital.
भारत एक वार्तागत समाधान का समर्थन करता है जिससे अपनी राजधानी पूर्वी येरूशलम सहित फिलस्तीन एक संप्रभु, स्वतंत्र, व्यवहार्य और संगठित देश बने ।
Announcing Ansari ' s deportation at a press conference, Abhyankar said, ” The UAE Government has exercised its sovereign right to deport unwanted aliens.
एक संवाददाता समेलन में अंसारी के प्रत्यर्पण की घोषणा करते हे अभयंकर ने कहा, ' ' अमीरात सरकार ने अवांछित विदेशियों को देश से निकालने के अपने अधिकार का प्रयोग किया है.
He has sovereign control over the heavens and the earth. He gives life and brings death. He has power over all things.
सारे आसमान व ज़मीन की बादशाही उसी की है वही जिलाता है वही मारता है और वही हर चीज़ पर कादिर है
For both flesh - meats and liquor the sovereign rule is we must not live in order to eat and drink and be merry, but eat and drink in order to make our bodies temples of God and use them for service of man.
मांसाहार और शराब, दोनों के बारे में उत्तम नियम तो यह है कि हमें खाने, पीने और आमोद - प्रमोद के लिए नहीं जीना चाहिये, बल्कि इसलिए चाना और पीना चाहिये कि हमारे शरीर ईश्वर के मन्दिर बन जायं और हम उनका उपयोग मनुष्य की सेवा में कर सकें ।
The beautifully worded draft of the Objectives Resolution cast the horo - scope, so to say, of the sovereign Democratic Republic that India was to be.
सुंदर शब्दों में तैयार किए गए उद्देश्य - प्रस्ताव के प्रारूप में भारत के भावी प्रभुता संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य की रूपरेखा दी गई थी.
It is possible that in the event of the formation of a world union of free and equal nations, this sovereign authority might be voluntarily limited to some extent by each component unit in the interests of world planning and cooperation.
यह मुमकिन है कि आजाद और बराबरी वाले राष्ट्रों का विश्व संघ बनते समय उसके सदस्य देश विश्व योजना और विश्व सहयोग के हित में अपने इस सर्वोच्च अधिकार को स्वेच्छापूर्वक किसी हद तक सीमित कर दें, लेकिन इससे राष्ट्रीय योजना के निर्माण में कोई बाधा नहीं आयेगी.
That a mere man should have humiliated her provoked her sovereign shame.
एक साधारण मनुष्य के द्वारा अपमानित हो जाने के कारण उसकी राजकीय लज्जा उभड़ आई ।
The Preamble defines India as a ' sovereign Democratic Republic ', containing a federal system with Parliamentary form of Government in the Union and the States, an independent judiciary, guaranteed Fundamental Rights and Directive Principles of State Policy containing objectives which though not enforceable in law, are fundamental to the governance of the nation.
संविधान की प्रस्तावना भारत को ' संप्रभुता संपन्न प्रजातांत्रिक गणराज्य ' के रूप में पारिभाषित करती है, इसमें केंद्र और राज्यों में संसदीय स्वरूप वाली संघीय शासन प्रणाली, स्वतंत्र न्यायपालिका, संरक्षित मौलिक अधिकार और राज्य के नीति निर्देशक तत्व, जिन्हें यद्यपि लागू करने के लिए सरकारें कानून बाध्य नहीं हैं, शामिल हैं और यह सब राष्ट्र के प्रशासन के आधारभूत तत्व हैं ।
Its basic postulates are that the sovereign power resides in the people, that irrespective of religion, caste, creed, colour or sex and irrespective of the level of economic, educational or professional background, all are equal in the eyes of law and that each individual is capable of governing oneself and of managing ones ' own affairs the way one deems fit.
लोकतंत्र के बुनियादी लक्षण हैं कि प्रभुसत्ता लोगों में निहित हो ; धर्म, जाति, संप्रदाय, रंग या स्त्री - पुरुष के भेदभाव के बिना तथा आर्थिक, शैक्षिक या व्यावसायिक पृष्ठभूमि के स्तर के भेदभाव के बिना कानून की नजरों में सभी बराबर हों और प्रत्येक व्यक्ति को इतना सक्षम समझा जाए कि वह उस तरीके से, जिसे वह उचित समझे, स्वयं पर शासन कर सके तथा अपने निजी कार्य - व्यापार का प्रबंध कर सके ।