कम करना
घटाना
कम हो जाना
कम होना
क्षीण करना
And to Midian their brother Shuaib ; he said, ' O my people, serve God! You have no god other than He ; there has now come to you a clear sign from your Lord. So fill up the measure and the balance, and diminish not the goods of the people ; and do not corruption in the land, after it has been set right ; that is better for you, if you are believers.
और मदयन पास उनके भाई शुएब को तो उन्होंने कहा ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा ही की इबादत करो उसके सिवा कोई दूसरा माबूद नहीं तुम्हारे पास तो तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से एक वाजेए व रौशन मौजिज़ा आ चुका तो नाप और तौल पूरी किया करो और लोगों को उनकी चीज़ में कम न दिया करो और ज़मीन में उसकी असलाह व दुरूस्ती के बाद फसाद न करते फिरो अगर तुम सच्चे ईमानदार हो तो यही तुम्हारे हक़ में बेहतर है
O you who believe! When you contract a debt for a fixed period, write it down. Let a scribe write it down in justice between you. Let not the scribe refuse to write as Allah has taught him, so let him write. Let him who incurs the liability dictate, and he must fear Allah, his Lord, and diminish not anything of what he owes. But if the debtor is of poor understanding, or weak, or is unable himself to dictate, then let his guardian dictate in justice. And get two witnesses out of your own men. And if there are not two men, then a man and two women, such as you agree for witnesses, so that if one of them errs, the other can remind her. And the witnesses should not refuse when they are called on. You should not become weary to write it, whether it be small or big, for its fixed term, that is more just with Allah ; more solid as evidence, and more convenient to prevent doubts among yourselves, save when it is a present trade which you carry out on the spot among yourselves, then there is no sin on you if you do not write it down. But take witnesses whenever you make a commercial contract. Let neither scribe nor witness suffer any harm, but if you do, it would be wickedness in you. So be afraid of Allah ; and Allah teaches you. And Allah is the All - Knower of each and everything.
ऐ ईमान लानेवालो! जब किसी निश्चित अवधि के लिए आपस में ऋण का लेन - देन करो तो उसे लिख लिया करो और चाहिए कि कोई लिखनेवाला तुम्हारे बीच न्यायपूर्वक लिख दे । और लिखनेवाला लिखने से इनकार न करे ; जिस प्रकार अल्लाह ने उसे सिखाया है, उसी प्रकार वह दूसरों के लिए लिखने के काम आए और बोलकर वह लिखाए जिसके ज़िम्मे हक़ की अदायगी हो । और उसे अल्लाह का, जो उसका रब है, डर रखना चाहिए और उसमें कोई कमी न करनी चाहिए । फिर यदि वह व्यक्ति जिसके ज़िम्मे हक़ की अदायगी हो, कम समझ या कमज़ोर हो या वह बोलकर न लिखा सकता हो तो उसके संरक्षक को चाहिए कि न्यायपूर्वक बोलकर लिखा दे । और अपने पुरुषों में से दो गवाहो को गवाह बना लो और यदि दो पुरुष न हों तो एक पुरुष और दो स्त्रियाँ, जिन्हें तुम गवाह के लिए पसन्द करो, गवाह हो जाएँ ताकि यदि एक भूल जाए तो दूसरी उसे याद दिला दे । और गवाहों को जब बुलाया जाए तो आने से इनकार न करें । मामला चाहे छोटा हो या बड़ा एक निर्धारित अवधि तक के लिए है, तो उसे लिखने में सुस्ती से काम न लो । यह अल्लाह की स्पष्ट से अधिक न्यायसंगत बात है और इससे गवाही भी अधिक ठीक रहती है । और इससे अधिक संभावना है कि तुम किसी संदेह में नहीं पड़ोगे । हाँ, यदि कोई सौदा नक़द हो, जिसका लेन - देन तुम आपस में कर रहे हो, तो तुम्हारे उसके न लिखने में तुम्हारे लिए कोई दोष नहीं । और जब आपम में क्रय - विक्रय का मामला करो तो उस समय भी गवाह कर लिया करो, और न किसी लिखनेवाले को हानि पहुँचाए जाए और न किसी गवाह को । और यदि ऐसा करोगे तो यह तुम्हारे लिए अवज्ञा की बात होगी । और अल्लाह का डर रखो । अल्लाह तुम्हें शिक्षा दे रहा है । और अल्लाह हर चीज़ को जानता है
And those who believe and whose progeny follow them in belief. We shall cause their progeny to join them, and We shall not diminish Unto them aught of their own work. Every man is for that which he hath earned a pledge.
जो लोग ईमान लाए और उनकी सन्तान ने भी ईमान के साथ उसका अनुसरण किया, उनकी सन्तान को भी हम उनसे मिला देंगे, और उनके कर्म में से कुछ भी कम करके उन्हें नहीं देंगे । हर व्यक्ति अपनी कमाई के बदले में बन्धक है
The desert Arabs say: we have believed. Say thou: believe not, but rather say: We have submitted ; and belief hath not yet entered into your hearts. And if ye obey Allah and His apostle, He shall not diminish from you aught Of you, wOrks verily Allah is Forgiving, Merciful.
बद्दुओं ने कहा कि," हम ईमान लाए ।" कह दो," तुम ईमान नहीं लाए । किन्तु यूँ कहो, ' हम तो आज्ञाकारी हुए ' ईमान तो अभी तुम्हारे दिलों में दाख़िल ही नहीं हुआ । यदि तुम अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करो तो वह तुम्हारे कर्मों में से तुम्हारे लिए कुछ कम न करेगा । निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है ।"
Such an electronic device which diminish the amplitude or power of a signal without noticeably distorting its waveform.
एक एसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो संकेत के तरंगरुप / वेवफार्म को विकृत किए बिना संकेत के आयाम या शक्ति को कम करता है
And to Midian their brother Shuaib ; he said, ' O my people, serve God! You have no god other than He. And diminish not the measure and the balance. I see you are prospering ; and I fear for you the chastisement of an encompassing day.
मदयन की ओर उनके भाई शुऐब को भेजा । उसने कहा," ऐ मेरी क़ौम के लोगो! अल्लाह की बन्दही करो, उनके सिवा तुम्हारा कोई पूज्य - प्रभु नहीं । और नाप और तौल में कमी न करो । मैं तो तुम्हें अच्छी दशा में देख रहा हूँ, किन्तु मुझे तुम्हारे विषय में एक घेर लेनेवाले दिन की यातना का भय है
Relieve or diminish
आराम देना या कम होना
My people! Give full measure and weight with justice, do not diminish the goods of others, and do not go about creating corruption in the land.
ऐ मेरी क़ौम के लोगो! इनसाफ़ के साथ नाप और तौल को पूरा रखो । और लोगों को उनकी चीज़ों में घाटा न दो और धरती में बिगाड़ पैदा करनेवाले बनकर अपने मुँह को कुलषित न करो
Casualties: The relatively small number of civilian casualties, plus the excellent care they are getting from the allies, will diminish the rage about Iraqis paying too high a price for their freedom. Islam: Respecting Iraqi ways, especially their religion, will reduce apprehensions about the war being a crusade.
क्षतियाँ - आनुपातिक तौर पर जान - माल की कम क्षति तथा गठबन्धन द्वारा हो रही देख भाल के चलते अपनी स्वतन्त्रता के लिए कीमत अदा कर रहे इराकियों का क्रोध कम हो जायेगा ।
O ye who believe! When ye contract a debt for a fixed term, record it in writing. Let a scribe record it in writing between you in equity. No scribe should refuse to write as Allah hath taught him, so let him write, and let him who incurreth the debt dictate, and let him observe his duty to Allah his Lord, and diminish naught thereof. But if he who oweth the debt is of low understanding, or weak, or unable himself to dictate, then let the guardian of his interests dictate in equity. And call to witness, from among your men, two witnesses. And if two men be not then a man and two women, of such as ye approve as witnesses, so that if the one erreth the other will remember. And the witnesses must not refuse when they are summoned. Be not averse to writing down whether it be small or great, with the term thereof. That is more equitable in the sight of Allah and more sure for testimony, and the best way of avoiding doubt between you ; save only in the case when it is actual merchandise which ye transfer among yourselves from hand to hand. In that case it is no sin for you if ye write it not. And have witnesses when ye sell one to another, and let no harm be done to scribe or witness. If ye do lo! it is a sin in you. Observe your duty to Allah. Allah is teaching you. And Allah is knower of all things.
ऐ ईमान लानेवालो! जब किसी निश्चित अवधि के लिए आपस में ऋण का लेन - देन करो तो उसे लिख लिया करो और चाहिए कि कोई लिखनेवाला तुम्हारे बीच न्यायपूर्वक लिख दे । और लिखनेवाला लिखने से इनकार न करे ; जिस प्रकार अल्लाह ने उसे सिखाया है, उसी प्रकार वह दूसरों के लिए लिखने के काम आए और बोलकर वह लिखाए जिसके ज़िम्मे हक़ की अदायगी हो । और उसे अल्लाह का, जो उसका रब है, डर रखना चाहिए और उसमें कोई कमी न करनी चाहिए । फिर यदि वह व्यक्ति जिसके ज़िम्मे हक़ की अदायगी हो, कम समझ या कमज़ोर हो या वह बोलकर न लिखा सकता हो तो उसके संरक्षक को चाहिए कि न्यायपूर्वक बोलकर लिखा दे । और अपने पुरुषों में से दो गवाहो को गवाह बना लो और यदि दो पुरुष न हों तो एक पुरुष और दो स्त्रियाँ, जिन्हें तुम गवाह के लिए पसन्द करो, गवाह हो जाएँ ताकि यदि एक भूल जाए तो दूसरी उसे याद दिला दे । और गवाहों को जब बुलाया जाए तो आने से इनकार न करें । मामला चाहे छोटा हो या बड़ा एक निर्धारित अवधि तक के लिए है, तो उसे लिखने में सुस्ती से काम न लो । यह अल्लाह की स्पष्ट से अधिक न्यायसंगत बात है और इससे गवाही भी अधिक ठीक रहती है । और इससे अधिक संभावना है कि तुम किसी संदेह में नहीं पड़ोगे । हाँ, यदि कोई सौदा नक़द हो, जिसका लेन - देन तुम आपस में कर रहे हो, तो तुम्हारे उसके न लिखने में तुम्हारे लिए कोई दोष नहीं । और जब आपम में क्रय - विक्रय का मामला करो तो उस समय भी गवाह कर लिया करो, और न किसी लिखनेवाले को हानि पहुँचाए जाए और न किसी गवाह को । और यदि ऐसा करोगे तो यह तुम्हारे लिए अवज्ञा की बात होगी । और अल्लाह का डर रखो । अल्लाह तुम्हें शिक्षा दे रहा है । और अल्लाह हर चीज़ को जानता है