कोई भी देश यश के शिखर पर तब तक नहीं पहुंच सकता जब तक उसकी महिलाएं कंधे से कन्धा मिला कर ना चलें।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:
यह है भारतीय मानस की आदिशक्ति , अर्धांगिनी , ग्रहलक्ष्मी शिव के साथ भवानी राम के साथसीता एवं कृष्ण के साथ राधा की आराधना ही नारी की अर्चना है गार्गी मातृ एवं विदुषीकी गौरवमयी परंपरा को आज भी हमारी भारतीय नारी ने आज तक निभाया है l
नर और नारी जीवन रूपी रथ के दो पहिये हैजिनमे संतुलन होना बहुत ही आवश्यक है और अगर हम इन पहियों के साथ छेड़ छाड़करने की कोशिश करेंगे तो हमारा जीवन रूपी रथ डगमगा सकता है l
हमारे भारतीय सविंधान की प्रस्तावना में भी लिंग समानता पर वैसेह जोर दिया गया हैl
हमारे सविंधान के अनुछेद 15 (1) मेंयह स्पस्ट कहा गया है की कोई भी राज्य अपने किसी भी नागरिक के साथ उसकेलिंग एवंजात के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता l
अनुछेद 16 में यह कहा गया है की सभी नागरिको को चाहे वो स्त्री हो या पुरुषउसको किसी भी सरकारी या गैर सरकारी नौकरी के लिए समान अवसर मिलना चाहिए l
लेकिन क्या हम सचमें सबकोसमान अधिकार देने में सक्षम है ? जी नहीं हम सक्षम नहीं हैl
प्रत्यक्ष उदहारण हमारे सामनेभारतीय महिला क्रिकेट टीम का है lपुरुष टीम के प्रत्येक अंतराष्ट्रीय खिलाडी की तनखाहऔसतन 1 करोड़ से ज्यादा है वही दूसरी ओर महिला खिलाड़ियों की औसतन तनखाह मात्र 15 -20 लाख है जो की पुरुष खिलाड़ियों की तुलना में बहुत हीकम है l
इतिहास गवाह है वीरांगनारानी लक्ष्मी बाईजिन्होंने अंग्रेजो से जमकर लोहा लिया था और अंग्रेज़ो के दांत खट्टे कर दिए थे lसरोजनी नायडू आजाद भारत कीप्रथम महिला गवर्नर,विजय लक्ष्मी पंडित सयुंक्त राष्ट्रमहासभा की पहली महिला राष्ट्रपतिवो भी एक भारतीय नारी थी l भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री एक ऐसी शख्सियत थी की उनकेघोर विरोधी स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपयी ने उनको माँ दुर्गा की उपाधि से नामाजा था इंद्रा गाँधी जी ने अपनी कूटनीति से अमेरिका जैसे राष्ट्र को भी अपने सामने झुकने पर मजबूर कर दिया था l
यह सब तथ्य हमको स्पष्टकरते है की भारतीय नारिया बिना किसी विशेषाधिकार के भी आसमान की बुलंदियों को छू सकती है l
जहाँ तक बात रही दहेज़ और पर्दा प्रथा जैसी कुरीतियों की तो इनका एकमात्र समाधान सिर्फ कोई विशेष अधिकार नहीं है इन समाज की कुरीतियों को जड़ से उखाड़ने के लिए हमे अपनी शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने की जरुरत है l हमे अपने देश के ज्यादा से ज्यादा नागरिको को नैतिक आधार पर शिक्षित बनाना चाहिए l
कहा जाता है की जब हम एक पुरुष को शिक्षा देते है तो हम केवल एक व्यक्तिको साक्षरबनातेहैलेकिन जब हम एक स्त्री को शिक्षा प्रदान करते है तो उस समय हम पुरे परिवार एवं पुरे समाज को साक्षर बनाते है यह दर्शाता है की नारी में इतनी क्षमता होती है की वो पुरे एक समहू को अपने साथ आगे लेकर बढ़ सकती है l
तो फिर जो नारी आज के इस युग मे दौड़ने मे सक्षम है तो उन्हें हम आरक्षण रूपी बैशाखी का सहारा देकर अपंग क्यों बनाये ?
महिलाओ को आरक्षण से नहीं अपने दम ख़म से अधिकार पाने की सपथ लेनी चाहिए उनको उदधार के लिए राम की चरण राज को नहीं बल्कि मनस्वनी सीता की भू समाधी को अपना आदर्श बनाना चाहिएl