गाने के बारे में जानकारी
यह गाना फ़िल्म "Izzat" से है।
इस गाने के बोल Sahir ने लिखे हैं।
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गाने के बोल
क्या मिलिये ऐसे लोगों से, जिनकी फ़ितरत छुपी रहे
नकली चेहरा सामने आए, असली सूरत छुपी रहे
खुद से ही जो खुद को छुपाए, क्या उनसे पहचान करें
क्या उनके दामन से लिपटें, क्या उनका अरमान करें
जिनकी आधी नीयत उभरे, आधी नीयत छुपी रहे,
नकली ॥।
दिलदारी का ढोंग रचाकर्, जाल बिछाए बातों का
जीते जी का रिश्ता कहकर्, सुख ढूँढे कुछ रातों का
रूह की हसरत लब पे आए, जिस्म की हसरत छुपी रहे,
नकली ॥।