मुंबई जिसे देश की आर्थिक राजधानी भी कहते है अक्सर किसी ना किसी वजह से चर्चा रहती है। कभी फिल्मी सितारों के चलते, कभी बारिश और बदहाल सड़कों की वजह से कभी सियासी दलों के चलते। पर इस बार मुंबई कुछ अलग वजह से खबरों में है। दरअसल मुंबई की आरे कॉलोनी में सरकार द्वारा करीबन 2646 पेड़ काटे गए है, इस विषय को लेकर कई लोगो ने सड़कों पर उतर कर इसका जबर्दस्त विरोध किया है। दरअसल पेड़ कटने के पिछे मुंबई मेट्रो रेल कॉरोरेशन यानी (एमएमआरसी) है गौतलब है कि एमएमआरसी को पेड़ कटने की अनुमति बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली थी।
विरोध इस हद तक बढ़ा की कई लोगों को गिरफ्तार किया गया और बढ़ते हुजूम हुए को देखते हुए पुलिस को आरे में धारा 144 लागू करनी पड़ी है। सिर्फ मुंबई की सड़कों पर ही नहीं बल्कि अलग अलग सोशल मीडिया पर भी आरे में पेड़ काटने का जम कर विरोध हो रहा है। विरोध इस कदर बढ़ा की सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की विशेष बेंच ने इस विषय पर सुनवाई हुई और मनिन्य कोर्ट अगले आदेश तक पेड़ो के कटने पर रोक लगा दी है।
आरे मुंबई की एक डेयरी कॉलोनी है जहां पर लाखों की संख्या में पेड़ है। आरे को मुंबई का ऑक्सीजन स्टोर भी कहा जाता है ।आरे की स्थापना 1951 में मुंबई में डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पंडित नेहरू ने की थी ।
मुंबई मेट्रो का काम साल 2014 में ही शुरू हुआ था जिसका पहला फेज वर्सोवा से लेकर घाटकोपर तक पूरा चुका है। क्यूंकि मेट्रो विस्तार लगातार हो रहा है ऐसे मे मेट्रो को पार्किंग शेड की आवश्यकता थी। बताया गया कि मुंबई में इस पार्किंग शेड के लिए मेट्रो परियोजना का जिम्मा संभाल रही कंपनी को आरे कॉलोनी ही सबसे बेहतर जगह लगी। गौरतलब है कि अगस्त में बीएमसी ने पेड़ो की कटने की मंजूरी दी थी जिसके बाद एमएमआरसी ने 2700 में से 2646 पेड़ काटे दिए। जैसे जैसे लोगो को इस बारे में जानकारी मिली , विरोध होना शुरू हो गया और लोगो ने चिपको आंदोलन तर्ज पर साथ इकठ्ठा हुऐ और पेड़ो को बचाने की हर संभव कोशिश की।
पुलिस ने आरे में विरोध कर रहे छात्र- छात्राओं को पहले तो गिरफ्तार किया और इतना ही नहीं कुछ लोगो पर एफआईआर भी दर्ज कर ली जिसके कारण लोगो का गुस्सा और बढ़ गया।
इसके बाद लॉ के एक छात्र ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को चिठ्ठी लिखकर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को दखल देने की मांग की और सोमावर को सुप्रीम कोर्ट ने फिलाल और पेड़ों के कटने पर रोक लगा दी है।
स्वर्ण कोकिला कहीं जाने वाली लता मंगेशकर और बॉलीवुड अभिनेत्री रवीना टंडन, दिया मिर्जा, रणदीप हुड्डा जैसे कलाकारों ने ट्वीट कर आरे में बड़ी संख्या में पेड़ो के काटे जाने का विरोध किया। जबकि श्रद्धा कपूर ने प्रदर्शन स्थल पर पहुंच कर इस घटना का विरोध किया।
एक रिपोर्ट कि माने तो आरे में पेड़ों के कटने से ना केवल प्रयवरण को नुकसान होगा बल्कि मुंबई में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आस पास के इलाके में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो सकते है। जो पेड़ काटे गए हैं वे कई साल पुराने थे और पेड़ जब काटे जाते है तो उनमें सालो से जमा हो रही कार्बन डाइऑक्साइड गास बाहर निकलती है और इससे प्रयवरण को गहरा नुकसान पहुंचने की उम्मीद है।
इस विषय में कौन जिम्मदार है कौन नहीं इस पर चर्चा करना व्यर्थ है। आरे जो कुछ भी हुआ वो बेहद सांगीन और गैर कानूनी है, पेड़ो को काट कर हम अपने आप को ही एक गहरे गड्ढे में ढकेल रहे है। पेड़ों के कटने से ना केवल मुंबई बल्कि आस पास के सभी इलाके बुरी तरह से प्रवाभित होंगे।
पर प्रशाशन पर या एमएमआरसी को गलत कहना उन्हें हत्यारा कहना भी गलत होगा। एमएमआरसी की कारवाही दरसअल मुंबई के लोगो को सुविधा पहुंचाने उद्देश्य थी क्यूंकि अन्ततः मुंबई वासियों को ही इस मेट्रो लाइन से फायदा होगा। एमएमआरसी की माने तो पेड़ काटने के 2 साल पहले से ही वो पेड़ लगाना शुरू कर चुके है और एमएमआरसी यह भी के रही है कि 2 साल में वे 24000 पेड़ लगाने वाले है। एमएमआरसी ने यह भी साफ किया है कि इस प्रोजेक्ट के कारण करीबन 2.60 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड बचेगी और मुंबई की जनता को इससे काफी राहत भी मिलेगी। पर मुझे ऐसा लगता है सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी प्रोजेक्ट खत्म होने से पहले ही ज़्यादा ज़्यादा पेड़ लगाने का आदेश एमएमआरसी को दे ताकि वक़्त रहते ही आने वाले संकट से बचा जा सके। साथ ही साथ सुप्रीम कोर्ट संबंधित अधिकारियों पर (जो भी इस घटना के लिए दोषी है) सख्त कार्रवाई भी करे।