ध़र्म, जाति, कूल, समाज।
की रेखा लांघो, नागरिक होने का,
फ़र्ज़ निभाओ, आओ मतदान करो,
एक सुंदर कल का निर्माण करो!
मतदान लोकतंत्र की नीव हैं, ये ऐसा अधिकार हैं, जो देश के हर नागरिक को यह हक़ प्रदान करता है, कि वे अपनी समझ और सूझ - बूझ से देश के लिए एक बेहतर सरकार चुन सके।
लोकतंत्र में जीतने भी अधिकार मिले है,उनमें से मतदान का अधिकार हमारा अधिकार तथा कर्तव्य दोनों है।
परन्तु यह बहुत दुख: की बात है,कि लोग वोट डालने के दिन को छुट्टी के रूप में मनाते है, तथा मतदान करना जरूरी नहीं समझते है,
कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में तो लोग अपने मतदान के अधिकार की शक्ति के में जानते ही नहीं है,उन्हें ये पता ही नहीं है, कि उनका एक वोट कितना कीमती हैं, खास कर के महिलाओ को मतदान करने से वंचित रखा जाता है, अगर किसी महिला को वोट देने का अवसर मिलता भी है,तो वे अपने मर्ज़ी से मतदान नहीं कर पाती है, अक्सर देखा गया है, कि घर की महिलाएं उन्हीं को वोट डालती है,जिन्हें घर के पुरूष कहते है, लेकिन क्या एक स्त्री को अपनी इचछानुसार मतदान करने का अधिकार नहीं है?आज भारत में वोट अपनी मर्ज़ी से नहीं बल्कि दबाव में आकर दिया जाता है,जो कि लोकतांत्रिक देश के ऊपर कलंक के समान है,हम चाहते तो है, कि हमारा देश प्रगति करे, विकास के लिए अग्रसर हो, परन्तु हम उसकी प्रगति तथा विकास के लिए कोई कदम नहीं उठाना चाहते है,हर एक कार्य के लिए दोष सरकार के सिर मड़ देते है,लेकिन अपने अंदर की कमियों को नहीं देखते हैं, हम स्वयं ही अपनी जिम्मेदारी को सही तरीके से नहीं निभाते है,हम वोट देना आवश्यक ही नहीं समझते है,लेकिन हम एक अच्छी सरकार लाने की उम्मीद अवश्य करते है,परन्तु क्या अगर हम अपने कर्तव्य को ही पूर्ण जिम्मेदारी से नहीं निभाएंगे तो क्या एक सही सरकार का चुनाव हो सकेगा?
भारत में आज युवा वर्ग की संख्या लगभग 60% से अधिक है, जोकि एक बेहतर सरकार बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है,परन्तु उनके अंदर भी मतदान को लेकर खास उत्साह नहीं देखने को मिल रहा है, युवा पीढ़ी किसी भी देश की मजबूती कड़ी होते ही आज जरुरत है, कि युवाओं की वे मतदान करने में पूरे जोश के साथ आगे आए और तथा लोगो को मतदान करने के प्रति जागरूक करें।
आज भी हमारे देश में मतदान प्रत्याशी के गुण को देखकर नहीं बल्कि उसके धर्म ,जाति के आधार पर किया जाता है,लोग अपना मत चंद कुछ पैसों के लिए बेच देते है, समाज में व्याप्त ये कुरीतिया एक स्वस्थ मतदान के मार्ग बाधक बन रही हैं।
अगर हमें देश को प्रगति के राह पर आगे बढ़ना है,तो सर्वप्रथम अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा तभी देश आगे बढ़ सकता है, भारत के हर नागरिक को ये सपथ लेना चाहिए कि, वो पूर्ण जिम्मेदारी से मतदान करने के लिए आगे आएगा तथा बिना किसी प्रलोभन के अपना मत देगे।