बेटी होगी तो कल होगा
बेटी पढ़ाओगे तो देश आगे बढ़ेगा
बेटी होगी तो संसार खुश रहेगा।
बेटीबचाओ-बेटी पढ़ाओ एक सरकारी योजना है जिसे भारत के प्रधानमंत्री ने जनवरी 2015 में शुरू किया है। लड़कियों की सामाजिक स्थिति में भारतीय समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिये इस योजना का आरंभ किया गया है।
भारतीय समाज मे छोटी लड़कियों पर बहुत सारे प्रतिबंध कियेजाते है जो उनकी उचित वृद्धि और विकास में रोड़ा बना हुआ है। ये योजना छोटी लड़कियों के खिलाफ होने वाला अत्याचार,असुरक्षा,लैंगिंक, भेदभाव आदि को रोकने के लिए बनाई गई है।
हालांकि यह सच नही है ,दुनियाँ की आधी जनसंख्या लगभग महिलाओं की है इसलिए वो धरती पर मानव समाज खतरे में पड़ सकता है क्योंकि अगर महिलाएं नही तो जन्म नही ।लगातार प्रति लड़को पर गिरते लड़कियो का अनुपात इस मुद्दे की चिंता को साफतौर पर दिखता है। इसीलिए , उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कराने के साथ ,छोटी बच्ची की सुरक्षा को पक्का करना , लड़कियों को बचाना , कन्या भ्रूरण हत्या रोकने के लिए इस योजना की शुरुआत की गयी है।
आज के समाज के लोगो की सोच बेटियों के प्रति:
1.दहेज की प्रथा
2.समाज की दृष्टिकोण
3.भेदभाव की भावना
दहेज की प्रथा
आज भी दहेज की प्रथा को लेकर बेटियों को जन्म देने से डरते है या फिर दहेज के डर से बेटियों को जन्म लेने से पहले ही मौत के घाट उतार दिया जाता है। परन्तु लोगो की सोच इतनी नीचे गिर चुकी है कि वो एक बार भी यह नही सोचते कि अगर बेटियों को पढ़ाने में पैसा खर्च करे तो आगे चलकर वही बेटियों को दहेज जैसी प्रथा का सामना नही करना पड़ेगाक्योंकि वो खुद ही इतनी काबिल हो जाएंगी की समाज मे हो रहे गलत कार्यो के खिलाफ आवाज़ उठाएंगी।
समाज की दृष्टिकोण
आज लोग लड़कियों को पैदा न करने की वजह कहि न कही समाज की दृष्टिकोण को भी मानते है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि बेटियां समाज मे किसी भी कोने में सुरक्षित नही है और हो रहे अत्याचार, एवं ब्लातकार के डर की वजह से लोग बेटियों को पैदा न करना औऱ अगर बेटियां है भी तो उन्हें चार दिवारी पर बन्द रखा जाता है।
भेदभाव कि भावना
लड़को की अपेक्षा लड़कियों के साथ भेदभाव किया जाता है ,लड़कियों को किसी भी तरह के कपड़े पहनना या फिर किसी प्रकार का फैशन करने की छूट नही दी जाती लड़को को हर तरह के फैशन की छूट रहती है। लड़कियों को 12 वी पास करवाके उन्हें विवाह के बंधन में बांन्ध दिया जाता है और लड़कों को पढ़ाने के लिए विदेश तक भेज दिया जाता है। लड़कियां को इस तरह के भेदभाव कभी आगे नही बढ़ने देते है और फिर वही लड़कियां चार दिवारी पर बन्द रहकर लोगो के अत्याचार की शिकार बन जाती है।
आज काफी हद तक लोगो की सोच बदल गयी है अगर सारा समाज अपनी सोच लड़कियो के प्रति बदल लें तो लड़कियां नही इस देश की बेटियां समाज को सही दिशा में ले जा सकती है। बेटियां भी बेटो के बराबर होती है उन्हें भी समाज में उतना ही हक है जितना लड़को का इस समाज मे।
बेटियों को पढ़ाना बहुत ही महत्वपूर्ण है ताकि वो अपने पैरों पर खड़ी हो सके और समाज मे आगे बढ़ सके । अपने हक के लिए लड़ सके वो किसी भी प्रकार के दुष्टकार्य का शिकार न बने और समाज में हो रहे अत्याचार , बलत्कार , भेदभाव ,और कई प्रथाएं जो लोगो को चोट पहुचती इन सब के खिलाफ आवाज़ उठा सके बिना किसी के डर से।