यह सोचकर कितना अजीब लगता है की वह भारत जो अपने आप मे एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है उसमे आज भी एक ऐसी कुरीति जिंदा है जिसका नाम'बालविवाह'है ।एक ऐसी कुरीति जिसमे दो आपरीपक्व लोगो को जो आसपास में बिल्कुल अनजान है उन्हें जबरन ज़िन्दगी भर साथ रहने के एक बन्धन में बांध दिया जाता है और वे दो आपरिपक्व बालक शायद पुरी ज़िंदगी भर इस कुरीति से उनके ऊपर हुए अत्याचार से उभर नही पाते है और बाद में स्तिथियाँ बिल्कुल खराब हो जाती है और नतीजे तलाक और मृतु तक पहुच जाते है।
अब भले ही बालविवाह देशो में कम होने लगा हो परंतु सज भी राजस्थान में ये कुरीति बन्द होने का नाम नही ले रही।
आज भी 11 साल की लड़की को 22 साल के लड़के के साथ विवाह कर दिया जाता है । कई बार लड़का और लड़की दोनों के उम्र 11 या 12 साल की उम्र में विवाह के बंधन में बांन्ध देते है।जो उम्र पढ़ने लिखने की होती है वहाँ लोग एक ऐसे बंधन में बंध देता है जो उन बच्चो के लिए वो सज़ा बन जाती है।
बाल विवाह के दुष्परिणाम
बालविवाह के केवल दुष्परिणाम ही होते है जिनमे सबसे घातक शिशु व माताकी मृतु दर में वृद्धि । शारीरिक और मानसिक विकास पूर्य नही हो पाता है।
और वो अपनी जिम्मेदारियो का पूर्ण निर्वहननही कर पाते है और इनसे एच .आई .वीजैसे यौन संक्रमित रोग होने का खतरा हमेशा बना रहता है।
बालविवाह होने के ऐसे कई कारण है जैसे कि:-
1) लड़की की शादी को माता पिता द्वारा अपने ऊपर एक बोझ समझना।
2)शिक्षा का अभाव
3)रूढिवादिता का होना
4)अंधविश्वास
इन सबको रोकना बहुत ही जरूरी है । इन सबको रोकने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना होगा , मीडिया इसे रोकने मेंभागीदारी निभा सकती है, शिक्षा का प्रसार , गरीबी का उन्मूलन , जहा मीडिया का प्रसार न हो सके वहाँ नुक्कड़ नाटक का आयोजन करना।