न रहा तीन तलाक़

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Juhi Tomar
May 08, 2019   •  25 views

तीन तलाक क्या है

तीन तलाक मुसलमान समाज में तलाक़ का वो जरिया है , जिसमे मुस्लिम आदमी अपनी बीवी को सिर्फ तीन बार 'तलाक़'कहकर अपनी शादी किसी भी क्षण तोड़ सकते है। इस नियम से होने वाले तलाक़ स्थिर होते है, शादी खत्म हो जाती है । इसके बाद यदि कोई पुरुष और स्त्री से पुनः शादी करना चाहे तो उन्हें 'हलाल' भरने के बाद ही ये शादी हो सकती है।

हलाल एक पद्धति है जिसमे तलाक़ शुदा स्त्री को पहले एक दूसरे मुसलमान पुरुष के साथ विवाह करके रहना होता है । उस आदमी के साथ कुछ दिन व्यतीत करने के बाद पुनः उस आदमी से तलाक़ लेकर स्त्री अपने पुराने शौहर से फिर विवाह कर पायेगी । तीन तलाक़ को प्रायः 'तलाक़ उल बिद्दत ' भी कहा जाता है।

विश्व भर में कई मुस्लिम स्कॉलर ने तीन तलाक़ को गैर इस्लाम घोषित किया है।इन स्कॉलरों के अनुसार कुरान में इस तरह के किसी भी तलाक़ का जिक्र नही है , इसके लिए ये स्कॉलर कहते है कि शाहुहार और बीवी को तलाक़ से पहले कम से कम तीन महीने एक साथ रहना चाहिए और उसके बाद कानूनी सलाह से तलाक़ लेनी चाहिए । शौहर को अपने बीवी के तुह् के समय में तलाक़ देना होता है। इसके पहले तीन महीने में इन्हें अपने सभी रिश्तेदारी की मदद से शादी को बचाने की कोशिश करनी चाहिए । यदि इस तीन महीने के बाद भी शौहर और बीवी तलाक़ चाहते है तो पुरुष तलाक का ऐलान करता है और शादी टूट जाती है । हलाल उस वक़्त होता है जब एक ही कपल लगातार तीन बार तलाक ले चुके होता है और फिर से चौथि बार फिर से शादी करना चाहता हो।

तीन तलाक पर सर्वच्च न्यायालय का अंतिम फैसला

अगस्त 2017की सुबह भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक पर अपना फैसला सुनाया । इस केस की सुनवाई करते हुए पांच जजो की बेंच बनाई गई , जिसमे चीफ जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस अब्दुल नज़ीर शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक़ का असंवैधानिक घोषित कर दिया है। इस फैसलेपर 5 जजों की बेंच में से 3 जजों ने इसकासमर्थन किया जबकि 2 जजों ने इस फैसलेका समर्थन नही किया । इस तरह आज से मुस्लिम लोगो में कई सालो के चली आ रही इस प्रथा पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुहर लगा दी गयी , और यह अब पूरी तरह सेगैर कानूनी हो गया है। इस फैसले से मुस्लिम महिला ने राहत की साँस ली । प्रधानमंत्री मोदी सहित कई बड़े नेताओं ने इस फैसले को स्वीकार करते हुए मुस्लिम महिलाओं को शुभकामना दी गयी थी और 6 महीने के अंदर ही इसके प्रति कानून बना दिया गया।

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